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8-निर्जरा-भावना ज्ञान दीप तप तेल भर, घर ज्ञौधे भ्रर छोर
या विध बिन निकस नहीं, बैठे पूरब चोर' ॥ जिस प्रकार एक चतुर पोत संचालक छेद हो जाने से जहाज में पानी घुस आने पर पहले छेदों को बन्द करता है और फिर जहाज में भरे हुये पानी को बाहर फेंक कर जहाज को हल्का करता है जिससे उसका जहाज बिना किसी भय के सागर से पार हो सके, उसी प्रकार ज्ञानी जीव पहले आस्रव रूपी छेदों को संवर रूपी डाटों से बन्द करके कम रूपी जल को आने से रोक देता है, फिर आत्मा रूपी जहाज में पहले से इकठ्ठा हुये कर्म रूपी जल को तप रूपी अग्नि से सुखा कर निर्जरा (नष्ट) कर देता है, जिस से आत्मा रूपी जहाज ससार रूपी सागर का बिना किसी भय के पार कर सके।
१०-लोक-भावना चौदह राजु उतंग नभ, लोक पुरुष संठान । तामें जीव अनादित, भरमत है बिन ज्ञान॥
१. Followed by the lamp of Wisdom,
And sacrifice- as oil lir; Rap ye. to get out the prison Of the atomic idea's kuit.
--9tb. Meditation of Sbedding of Karmas. २. Vast's the magnitude of the Universe,
The Earth midway-tbe Heaven and Hell; Where's the soul from time's infinite Whithered without a scientific cell.
-10th. Meditation of Universe.
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