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महा तपस्वो का तप मेनका जैसी साधारण स्त्री डिगादे वहां श्री वर्द्धमान् महावीर कामरूपी अग्नि को वश करने में महावीर रहे। ___ भरत को जिस राज-पाट के दिलाने के लिये माता केकयी ने श्रीरामचन्द्र जी जैसे योग्य, हानहार राजकुमार का चौदह वर्ष के लिये बनों में निकलवा दिया, जिस राज-पाट की प्राप्ति के लिये दुर्योधन न अपने भाईया तक क साथ महाभारत जैसा भयानक युद्ध करके भारत के प्रसिद्ध योद्धाओं का अन्त कर दिया, जिस राजपाट की प्राप्ति के लिये बनवीर ने मेवाड़ के राणा उदयसिंह को मरवाने के लिये हजारों यत्न किये, जिस राज-पाट के लिये मोहम्मद गौरी ने भारत पर सत्रह बार आक्रमण किया. जिस राज-पाट की लालसा में सिकन्दर महान् ने लाखों यूनानी वीरों को मरवा डाला, जिस राज-पाट के हेतु औरङ्गजेब ने अपने पिता शाहजहां को बन्दीगृह में डाल दिया, उसी राज-पाट को श्री वर्धमान महावीर ने एक सच्चा अधिकारी और माता-पिता की अभिलाषा के बावजूद दम के दम में सहर्ष त्याग दिया।
श्री वर्द्धमान महावीर ने जिन दीक्षा लेने से पहले अपने खजाने का मुंह खोल कर स्पष्ट आज्ञा दे दी थी कि अमीर हो या गरीब, जिसका जो जी चाहे लेजावे, चुनाँचे तीन अरब अठासी करोड़ अस्सी लाख अशर्फियों की मालयत की सम्पत्ति अनाज आदि दान देकर उन्होंने जनता की सात पुश्तों तक की जरूरतों को पूरा कर दिया था। ___ खेत (जमीन) मकानात, चांदी, सोना, पशु-धन, अनाज, नौकर, नौकरानी, वस्त्र, बर्तन, दस प्रकार की बाह्य तथा क्रोध, १. मास्टर रखाराम मोदगल, आत्मानन्द ए० बी० स्कूल लुधियाना। २६८]
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