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wledge) NATAPUTTA (of being Nata Clan) NIRGRANTHA (for being unclothed and free from worldly bonds) JINA (Conqueror of karmas) and by a host of other names, -Amar Chand: Manhavira (J. M. S. Banglore) P. 3-4. ___ श्री वर्द्धमान के नाम केवल 'वीर', 'अतिवीर', 'महावीर'
और 'सन्मति ही न थे बल्कि 'यथानाम तथागुणाः' १००८ गुण होने के कारण उनके १००८ नाम थे' । उनके पिता 'णातृ२ (नात', नाथू) वंश के क्षत्रिय थे ।'णात' का संस्कृत में पर्यायरूप 'ज्ञात' है । इस कारण इनको 'णातपुत्त'६, 'ज्ञातृपुत्र'' नाथवंशी
भी कहा जाता है । कवियों ने इनको 'नाथकुलनन्दन'६ कहा है । विदेह देश में जन्म लेने के कारण उनको 'विदह'' अथवा 'विदेहदिन्न' भी कहा गया है। उनकी माता वैशाली की होने के कारण उनको 'वैशालिक" २ भी कहा गया । श्रम वहन करने के कारण ये 'श्रमण' कहलाये । बौद्धों ने योगी महावीर का उल्लेख 'निगंठ५४, नातपुत्त' ५, 'निर्ग्रन्थ"६, 'ज्ञातपुत्त' ७ नाम से किया है । सर्मज्ञ होने पर वे 'तीर्थकर"८, 'भगवान् महावीर"
१. कामताप्रसाद : भगवान् पार्श्वनाथ पृ. १६.१८, २-८. जुगल किशोर : भ० महावीर और उनका समय, पृ० २।
कामताप्रसाद : भ० महावीर, पृ० ७१ । १०-११. आचाराङ्ग सूत्र २४, १७ ॥ १२. विज्ञाला जननी यस्य, विशालकुलमेव च । विशालं वचनं चास्य, तेन वैशालिको जिनः ॥
-सूत्रकृताङ्ग टीका, २-३ १३. 'Mahavira is called Sarmana"
-Jain Sutras [8. B. E.] part I P. 193. १४-१७ दीघनिकाय। १८-१६. धनंजयनाममाला ।
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