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नहीं, क्योंकि यह स्वयं जैन धर्म को अति प्राचीन काल से प्रचलित होना स्वीकार करते हैं' ।
इस
ऐतिहासिक विद्वान् Lethbridge and Mounstrust Elphinstone का कथन कि छठी शताब्दी से प्रचलित है, लिए सत्य नहीं कि छठी शताब्दी में होने वाले भगवान् महावीर जैन धर्म के प्रथम प्रचारक' नहीं थे, चौबीसवें तीर्थंकर थे । जैन-धर्म उनसे बहुत पहले दिगम्बर ऋषि ऋषभदेव ने स्थापित किया
था ।
Wilson Lesson, Barth and Weber आदि विद्वानों का कहना कि जैन धर्म बौद्ध धर्म की शाखा है, इस लिए सत्य नहीं कि कोई भी हिन्दू ग्रन्थ ऐसा नहीं कहता । हनुमान नाटक में तो जैन धर्म बौद्ध धर्म को भिन्न भिन्न सम्प्रदाय बताये हैं " श्री मद्भागवत् में बुद्ध को बौद्ध धर्म का तथा ऋषभदेव को जैन-धर्म का प्रथम प्रचारक कहा है । महर्षि व्यास जी ने महाभारत
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जैन और बौद्ध धर्म को दो स्वतंत्र समुदाय बताया है । जब महात्मा बुद्ध स्वयं महावीर स्वामी को जैन धर्म का चौबीसवां
१. वेदान्त सूत्र ३३ ।
२. जैन धर्म की प्राचीनता खण्ड नं० ३ ।
३.
जैन धर्म के संस्थापक श्री ऋषभदेव खण्ड ३ । ४. यं शैवाः समुपासते शिव इति ब्रह्म ेति वेदान्तिनो । बौद्धा बुद्ध इति प्रमाणपटवः कर्तेति नैपायिकाः । अर्हन्नियथ जैनशासतरताः कर्मेति मीमांसकाः । सोऽयं वो विदधातु वांछितफलं त्रैलाक्यनाथो हरिः ॥ ३ ॥
- हनुमान नाटक र लक्ष्मी वैक्टेश्र प्रेस अ० १
५. महाभारत, अश्वमेघपर्व, अनुगीति ४६, अध्याय २, १२ श्लोक ।
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