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शब्द को जैनधर्म के समान प्रत्यक्ष सिद्ध कर दिया । ___ न्याय और वैशेषिक सिद्धान्तकार पृथ्वी, जल, वायु आदि को स्वतन्त्र मानते हैं किन्तु जैनाचार्यों ने एक पुद्गल नामक तत्व बताकर इनको उसकी अवस्था विशेष बताया है। विज्ञान ने . हाइड्रोजिन आक्सीजन (Hydrogen Oxygen) नामक वायुओं का उचित मात्रा में मेल कर जल बनाया और जल का पृथककरण करके उपर्युक्त हवाओं को स्पष्ट कर दिया । इसी प्रकार पृथ्वी अवस्थाधारी अनेक पदार्थों को जल और वायु रूप अवस्था में पहुँचाकर यह बताया है कि वास्तव में स्वतन्त्र तत्व नहीं है किन्तु पुद्गल (Matter) की विशेष अवस्थाएँ हैं।
आज हजारों मील दूरी से शब्दों को हमारे पास तक पहुंचाने में माध्यम (Medium) रूप से 'ईथर' नाम के अदृश्य तत्वों की वैज्ञानिकों को कल्पना करनी पड़ी; किन्तु जैनाचार्यों ने हजारों वर्ष पहले ही लोकव्यापी 'महास्कन्ध' नामक एक पदार्थ के अस्तित्व को बताया है । इसकी सहायता से भगवान् जिनेन्द्र के जन्मादि की वार्ता क्षण भर में समस्त जगत में फैल जाती थी। प्रतीत तो ऐसा भी होता है कि नेत्रकम्प, बाहुस्पंदन आदि के द्वारा इष्ट-अनिष्ट घटनाओं के संदेश स्वतः पहुँचाने में यही महास्कन्ध सहायता प्रदान करता है । यह व्यापक होते हुए भी सूक्ष्म बताया गया है । १. 'The Jaina account of sound is a physical concept. All
otber Indian systems of thoughts spoke of sound as a quality of Space, but Jainism explains sound in relation with material Particles as a result of concussion of atmospheric molecules. To prove ibis scientific thesis the Jain Thinkers employed arrguments which are now generally found in the text boo's of pbysics.
-Prof. A Chakarvarti: Jaina Antiquary. Vol. IX P.5-16. २-३. 'भ० महावीर का धर्म उपदेश' खण्ड २ के फुटनोट । १२० ]
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