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और वे सुख दुःख का अनुभव करते हैं।
जैन धर्म ने बताया कि वस्तु का विनाश नहीं होता, उसकी अवस्थाओं में परिवर्तन अवश्य हुआ करता है। आज विज्ञान भी इस बात को प्रमाणित करता है कि मूल रूप से किसी वस्तु का विनाश नहीं होता, किन्तु उसके पर्यायों में फेरफार होता रहता है। ___ जैनाचार्यों ने कहा है कि प्रत्येक पदार्थ में अनन्त शक्तियां मौजूद हैं, क्या आज के वैज्ञानिक एक जड़ तत्व को लेकर ही अनेक चमत्कारपूर्ण चीज़ नहीं दिखाते ? लोगों को वे अवश्य आश्चर्य में डालने वाली होती हैं, किन्तु जैनाचार्य तो यही कहेंगे कि-'अभी क्या देखा है, इस प्रकार की शक्तियों का समुद्र छिपा
?, Turning to Biology, the Jain Thinkers were well
acquainted with many important truths that the plant-world is also a living kingdom, which was denied by the scientists prior to the researches of Dr J.C.Bose. Prof. —A Chakarvarti: Jaina Antiquary
Vol. IX P. 5-15. २. (i) उप्पत्तीवविणासो दव्वस्स यं णत्थि अत्थि सब्भावो। विगमुप्यादधुवत्त करंति तस्सेव पज्जाया ॥ ११ ॥
-श्री कुन्दकुन्दाचार्यः प्रवचनसार । अर्थ-द्रव्य की न तो उत्पत्ति होती है और न उसका नाश होता है। यह तो सत्य स्वरूप है । लेकिन इसकी पर्यायें इसके उत्पाद, व्यय
और ध्रौव्य को करती है। (ii) Nothing is created & nothing is destroyed. ३. 'भगवान् महावीर का धर्म उपदेश' खण्ड २ के फुटनोट । १२२ ]
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