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आज तिहुँ लोक में वीर यश छायो है
कुण्डलपुर बिहार में चैत सुदी तेरस को । त्रिशला ने तीर्थकर वीर को पायो है । जान जनम वीर का दर्शनों को उनके । नर सुर लोक' सारा उमड़ के आयो है ॥ सुधर्म के इन्द्र ने पाण्डुक बन में । मेरु गिरि क्षीर जल से न्हवन करायो है ॥ यज्ञ की हिंसा को हिंसा न बताते मूढ़ । स्वार्थ वश होय के दयाभाव त्यागो है ॥ ऐसी भयानक अवस्था में देश का अन्धकार । मिटा के वीर ने ज्ञान सूर्य चमकायो है ।
-श्री रवीन्द्रनाथ, न्यायतीर्थ त्रिशला के गर्भ में वीर प्रभु आयो है । देव इन्द्र और मनुष्य सब आनन्द मनायो है ॥ अहिंसा तप त्याग का पढ़ा कर सुन्दर पाठ । शान्ति सुधा जिन्होंने मेघ समान बरसायो है ॥ उन्हीं वीर अतिवीर, श्री महावीर का । आज तिहुँ लोक में विमल यश छायो है ॥
-श्री विष्णुकान्त, मुरादाबाद १-२ वीर-जन्म, खण्ड २। ३-४ वीर के जन्म-समय भारत की अवस्था, वण्ड २ । १३२ ]
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