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कुण्डपुर आया और उनको भक्ति पूर्वक नमस्कार किया। उनके माता-पिता को ऐसे भाग्यशाली पुत्र होने पर बधाई दी। वह कुमार वर्द्धमान के दर्शन करके इतना आनन्दित हुआ कि स्वगे की समस्त आनन्दमय विभूतियों को भूल गया। इतना अनुपम शरीर कि मायामयी एक हजार आंखें बना कर दर्शन करने से भी उसका हृदय तृप्त नहीं हुआ। वह श्री वर्द्धमान जी को ऐरावत हाथी पर बिठा कर बड़े उत्साह और स्वर्गिक ठाट-बाट से सुमेरू पतर्व पर लेगया और वहां एक बड़ी सुन्दर रत्नमई पाएडुक शिला पर विराजमान करके सुधर्म इंद्र ने क्षीर सागर से देवों द्वारा लाये गए पवित्र जल के एक हजार आठ स्वर्णमय कलशों से श्री वर्द्धमान जी का अभिषेक किया । साधारण मनुष्य में क्या शक्ति कि देवों के इतने विशाल अभिषेक को झेल सके ? सुरेन्द्र ने अद्भुत शक्ति से प्रभावित हो, भक्तिपूर्वक नमस्कार करके श्री वर्द्धमान जी की आरती की और उनका नाम 'वीर'
8. If the Angels of the Bible, the Farishtas of Quran and
Devas of the Hindus are not a mere myth and idle imagination than how the Indras of Jains are unbelievable ?
-Justice Jugamander Lal : V.0.A. Vol. I P. II. P. 30. ii लखनऊ के संग्रहालय में एक प्राचीन शिला-पट्ट है जिस में महावीर का जन्मकल्याणक देवगण मनाते दर्शाया गया-महावीर स्मृति ग्रन्थ ( आगरा )
___ भा० १, पृ० २७। २. श्री लोहाचार्य : श्नी सम्मेद महात्म. श्लोक ७६ । ३-४, Having respsctfully salutated and going three times
round Vardhamana, the king of the Gods said, salutation to the bearer of a gem in the womb ! The illuminator of the Universe, I am Lord of gods and have come from 1st Deva-loka to celebrate the birth
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