________________
नारी प्रभावशाली लेख लिखने में प्रसिद्ध हो', जो नारी उत्तम २ ग्रन्थ और अखबारों की सम्पादिका रही हो, जो नारी न केवल गृहस्थ धर्म बल्कि साधुका होकर तप शूर हुई हो जो नारी बिला वजह घर से निकाल देने पर भी उफ न करे, जो नारी राजमहलों से निकलना अच्छा समझे, परन्तु अर्हन्त दर्शन की प्रतिज्ञा भङ्ग न करे, जो नारी राजसुखों को त्याग दे परन्तु रात्रि भोजन न करे, जो नारी मनुष्य से भी पहले लौकिक और धार्मिक शिक्षा की अधिकारी स्वीकार की जाता रही हो, जो नारी सम्यग्दर्शन के अमूढ़ गुण में समस्त संसार के प्राणियों में सबसे श्रेष्ठ हो. जो नारी अपने स्वामी की रक्षा के लिये अपने इकलौते बालक को बलिदान कर सकती हो, जो नारी अपने बालकों को देश भक्ति के लिये उभारती रही हो, जो नारी देश रक्षा के लिये खुद तलवार लेकर रणभूमि में लड़ती रही हो', जिस नारी ने लोकपरलोक, देश-विदेश हर क्षेत्र में महाप्रभावशाली आदर्श की स्थापना की हो २, जिस नारी का जीवन, ठण्डे खून में जोश पैदा कर सकता हो', तो क्या उस जैन नारी के सुन्दर और उत्तम जीवन को भुलाया जा सकता है ? १-२ जैन महिला दर्शन (सूरत) भा० २६ पृ० ३६२ । ३. श्री चन्दना जी' विस्तार के लिए 'वीर सङ्घ', खण्ड २ । ४. श्री हनुमान जी की माता 'अञ्जना जी'। ५. दर्शन कथा। ६. रात्रि भोजन कथा। ७. ऋषभदेव ने अपने पुत्र भरत से पहले अपनी कन्याओं को शिक्षा दी थी ।
बीराङ्गनायें पृ० ३५ । ८. 'अनन्तमति' विस्तार के लिये 'आराधना कथा कोष' । ६.. 'पन्ना धाया' विस्तार के लिए 'टाड़ साहब का राजिस्थान' । १०-११. जैन धर्म वीरों का धर्म है, खण्ड ३ । १२-१४. Prof. Sarkari Muker Ji: Status of Women in Jainism.
[ १२६
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com