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महर्षि दयानन्द जी का वीर सिद्धान्त से प्रेम
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स्वामी दयादन्द जी ने मांस, मदिरा तथा मधु के त्याग की शिक्षा दी । और वस्त्र से पानी छान कर पीने का उपदेश दिया। वेदतीर्थ आचार्य श्री नरदेव जी शास्त्री के शब्दों में स्वामी दयानन्द जी यह स्वीकार करते थे कि श्री महावीर स्वामी ने अहिंसा आदि जिन उच्च कोटि के अनेक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है, वे सब वेदों में विद्यमान हैं । और बताया है कि भगवान् महावीर की अहिंसा दुर्बल अहिंसा नहीं थी, किन्तु संसार के प्रबल से प्रबल महापुरुष की अहिंसा थी । वैदिक शब्दों में कहा जाये तो "मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे" है।
१. सत्यार्थप्रकाश समल्लास ३-१०॥ २. 'बिन छने जल का त्याग' खण्ड २ । ३-४. वेदतीर्थ आचार्य श्री नरदेव : जैन संदेश आगरा (२६ जून १६४५) पृ० २४ ।
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