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अहिंसा के अवतार भगवान् महावीर
"मेरा विश्वास है कि बिना धर्म का जीवन बिना सिद्धान्त का जोवन है और बिना सिद्धान्त का जीवन वैसा ही है जैसा कि बिना पतवार का जहाज' । जहां धर्म नहीं वहां विद्या नहीं, लक्ष्मी नहीं, और नीरोगता भी नहीं । सत्य से बढ़कर कोई धम नहीं और अहिंसा परमोधर्मः से बढ़ कर कोई प्रा
चार नहीं है। जिस अहिंसा के आराधक श्री महात्मा गांधी
धर्म में जितनी ही कम हिंसा है, समझना चाहिये कि उस धम में उतना ही अधिक सत्य है।
भगवान् महावीर अहिंसा के अवतार थे उनकी पवित्रता ने संसार को जीत लिया था। महावीर स्वामी का नाम इस समय यदि किसी भी सिद्धान्त के लिए पूजा जाता है तो वह अहिंसा है। प्रत्येक धर्म को उच्चता इसी बात में है कि उस धर्म में अहिंसा तत्व की प्रधानता हो। अहिंसा तत्त्व को यदि किसी ने अधिक से अधिक विकसित किया है तो वे महावीर स्वामी थे। १-१. अनेकान्त वर्ष ४, पृ० ११२ । ३. महावीर स्मृति ग्रन्थ (आगरा) भाग १ पृ० २ ।
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