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अपने कलामे-हदीस में हजरत मोहम्मद साहब ने फरमाया कि यदि तुम जग के प्राणियों पर दया (अहिंसा) करोगे तो खुदा तुम पर दया करेगा' । थोड़ी सी दया (अहिंसा) बहुत सी इबादत (भक्ति) से अच्छी है । कुर्बानी का मांस और खून खुदा को नहीं पहुँचता', बल्कि तुम्हारी परेज़गारी (पवित्रता) पहुचती है ।
एक शिकारी एक हिरणी को पकड़ कर ले जा रहा था । रास्ते में हजरत मोहम्मद साहब मिल गये। हिरणी ने उनसे कहा कि मेरे बच्चे भूखे हैं, थोड़ी देर के लिये मुझे छुड़वादो, बच्चों को दूध पिलाकर मैं तुरन्त वापिस आ जाऊंगी। हिरणी के दर्द भरे शब्दों से हजरत मोहम्मद साहब का हृदय पसीज गया, हिरणी की बेबसीको देख कर उनकी आंखों में आंसू आ गये और उन्होंने शिकारी से कहा :
"हैवान है पर अन्देशाये वहशत जरा न कर ।
श्राती है वह बच्चों को अभी दूध पिला कर ॥" शिकारी हँसा और कहने लगा कि पशुओं का क्या विश्वास ?
१. 'इरहमु मनफिल ओई यरहम कुमुर्रहमानु' ।
___-पैगम्बर मोहम्मद साहब : 'कलाम हदीस' २. 'अलमुशफक्त खेर मन कसरते वादत' । ३. कुरानशरीफ, पारा १७, सुरा हज, रुक ५, प्रायत ३८ । ४. मौलवी कादरबख्श : इस्लाम की दूसरी किताब ।
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