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हैं। जो अपने स्वार्थ या दिल्लगी के कारण भी किसी को सताते हैं, दोज़ख की आग में बुरी तरह तड़फते हैं' । ईरानी कवि 'फिरदोसी' के शब्दों में पशु हत्या न करना, शिकार न खेलना, मांस भक्षण न करना ही पारसी धर्म के गुण हैं । महात्मा जरदोस्त का तो फरमान है कि बच्चा जवान या बूढ़ा किसी भी प्रकार की जीव-हिंसा उचित नहीं है ।
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हजरत मोहम्मद साहब का अहिंसा से प्रेम
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अरब में जैनियों द्वारा अहिंसा का प्रचार अवश्य किया । गया था । हज़रत मोहम्मद अहिंसा धर्म के प्रभाव से अछूते नहीं थे । उनका अन्तिम जीवन महा अहिंसक था । वे कंवल एक लबादा रखते थे । खुरमा रोटी और दूध उनका भोजन था । उन्होंने अपने अनुयायियों को अहिंसामय व्यवहार का उपदेश दिया था । आज भी जो मुसलमान मक्का शरीफ की यात्रा को जाते हैं, जब तक वहां रहते हैं, वे मांस नहीं खाते हैं ' ' । जूंं भी कपडो में हो जाय तो उसे कपडों तक से नीचे नहीं गिराते ।
नंगे पाँच जयारत करते मारना तो बड़ी बात है,
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१.
पारसी प्रसिद्ध ग्रन्थ 'जिन्दा वस्ता' ।
'फिरदोसी : शाहनामा' ।
दोस्तनामा ।
४- १०. आचार्य श्री नरेन्द्रदेवः - ज्ञानोदय, वर्ष १, अङ्क ७, पृष्ठ ३३ ।
११-१२. जैन संसार (नवम्बर सन् १६४२) पृष्ठ १७
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२.
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