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महात्मा श्री जरदोस्त की अहिंसामयी शिक्षा
बेजबान पशुओं की हत्या करना पारसी धर्म में बहुत बड़ा गुनाह है' । पूज्य गुरू श्री जरदोस्त मांस त्यागी थे। और उन्हों ने दूसरों को भी मांस त्याग की शिक्षा दी। सेठ रुस्तम ने तो अंडा तक खाना भी पाप बताया है। उनका विश्वास है कि मांस भक्षण से मनुष्य के स्वाभाविक गुण तथा प्रेम भावना नष्ट हो जाती है । जो दूसरों से अधिक बोझ उठवाते हैं वे ऊंट, घोडा, बैल आदि अधिक बोझ के कष्ट को सहन करने वाले पशु होते।
१. विद्माभूषण पं० ईश्वरलाल : मांसाहार विशारद, भाग २ पृ० ८५-९०। २से३. प्रसिद्ध पारसी ग्रन्थ 'शापस्तलाशायस्त' ।। ४से५. सन् १८६७ में सेठ रुस्तम जी का थियोसोफीकल सोसायटी के ब्लेवेटस्की
लाज में दिया हुआ भाषण - ६. खशूरान खशूर आयत १-२
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