________________ रखने वाला है। जिसके मन में किसी प्रकार का आग्रह नहीं है और जिसकी बुद्धि वस्तु के वास्तविक धर्म की पहिचान करने के लिए लालायित रहती है। ___यहाँ प्रश्न हो सकता है कि भगवानकी देशना जब मात्र गुणी या पात्र को ही लाभ पहुंचाती है-हितकर होती है; नि. गुणी या अपात्र को नहीं। तब हम क्यों न कहें कि, उस में इतनी न्यूनता है। क्यों कि योग्य पर उपकार करने में कुछ विशेषता नहीं है; विशेषता उसी समय हो सकती है जब वह अयोग्य पर भी उपकार करे और उसी समय हम उसको पूर्ण भी कहा सकते हैं। उत्तर सीधा है। सूर्य की किरणों का स्वभाव सारे जगत को प्रकाशित करता है। परन्तु उन से उल्लू-धू घू-को प्रकाश नहीं मिलता; उल्टे वह तो सूर्य की किरणों से अंधा बन जाता है। मगर इसमें सूर्य का क्या दोष है ? दुग्ध के समान जल से भरे हुए क्षीर समुद्र में फूटा घड़ा डालने से वह नहीं भरता है, तो इस में समुद्र का क्या दोष है? वसंत ऋतु में सारी वनस्पतियों में नवीन फूल पत्ते आते हैं। परन्तु करीर वृक्ष में पत्ते नहीं आते हैं; और जवासा सूख जाता है; तो इस में वसंत ऋतु का क्या दोष है ? कुछ नहीं। दोष है उन पदार्थों के दुर्भाग्य का। इसी प्रकार भगवान की देशना सब तरह से सामर्थ्य वाली है। मगर मन्येतर