________________
६६ ]
अध्याय तीसरा।
काल भी भिन्न २ है। इस इमड जातिका मुख्य स्थान बागड देशमें होनेसे तथा वहाँ उस जातिके अधिक दिगम्बराम्नायी प्राप्त होनेसे यह बात अधिकतर ध्यानमें जमती है कि कुमारसेनने हुमड़ ज्ञातिकी स्थापना की हो । हुमड़ जातिकी स्थापनाके सम्बन्धमें इतना ही लिखकर यह कहना पड़ता है कि यह जाति भी बहुत उच्च और प्रवीण हुई है । इस इमड़ जातिके अंदर २० गोत्र कहे जाते हैं परन्तु १८ के नाम प्रचलित हैं वह इस प्रकार हैं
हमडके १८ गोत्र। १ खेरजु . ७ भद्रेश्वर १३ सोमेश्वर २ कमलेश्वर ८ गंगेश्वर १४ राजीवानो ३ काकडेश्वरं ९ विश्वेश्वर १५ ललितेश्वर ४ उत्तरेश्वर १० संखेश्वर १६ कासवेश्वर ५ मंत्रेश्वर ११ आंबेश्वर १७ बुद्धेश्वर ६ भीमेश्वर १२ चाचनेश्वर १८ संघेश्वर
ये नाम कैसे प्रसिद्ध हुए इसका हमारे पास कोई इतिहास नहीं है।
हुमड़ जातिमें दो भेद पाए जाते हैं-एक वीसा हूमड, दूसरे दसा हमड। ये दो भिन्न भेद कैसे हुए इसका भी कोई विश्वास योग्य इतिहास नहीं मिलता है। परंतु यह दोनोंही भेदके लोग बहुत
अधिक संख्यामें मिलते हैं, कहीं २ वीसोंसे दसा हुमड बहुत ज्यादा हैं। तथा दोनोंही भेदके लोगोंके बनवाए हुए व प्रतिष्ठा कराए हुए जिन मंदिर पाए जाते हैं व दोनोंही समान भावसे श्रीजिन प्रतिबिम्बोंकी प्रछाल व पूजन करते हैं। इस सम्बन्ध में एक दूसरेसे कोई
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org