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अन्तगडदसाओ में कृष्णवासुदेव राज्य करते थे। अंधगवण्ही भी यहीं रहते थे। उनके गोयम नाम का पुत्र हुआ जिसने अरिष्टनेमि से दीक्षा ग्रहण कर शत्रुञ्जय पर्वत पर सिद्धि प्राप्त की।
दूसरे वर्ग में आठ अध्ययन हैं। तीसरे वर्ग के प्रथम अध्ययन में अणीयस का आख्यान है। भद्रिलपुर नगर (हजारीबाग जिले में कुलुहा पहाड़ी के पास भदिया नाम का गाँव ) में नाग गृहपति की सुलसा नामक भार्या से अणीयस का जन्म हुआ था । शत्रुजय पर्वत पर जाकर उन्होंने सिद्धि प्राप्त की। नौवें अध्ययन में हरिणगमेषी द्वारा सुलसा के गर्भपरिवर्तन किये जाने का उल्लेख है । देवकी के गजसुकुमाल नामक पुत्र का जन्म हुआ | उसने सोमिल ब्राह्मण की सोमश्री कन्या से विवाह किया । कुछ समय बाद गजसुकुमाल ने अरिष्टनेमि से श्रमणदीक्षा ग्रहण कर ली । सोमिल ब्राह्मण को यह अच्छा न लगा | एक बार गजसुकुमाल जब श्मशान में ध्यानावस्थित हो कायोत्सर्ग में खड़े थे तो सोमिल ने क्रोध में आकर उनके शरीर को जला दिया । इससे गजसुकुमाल के शरीर में अत्यन्त वेदना हुई, किन्तु बड़े शान्तभाव से उन्होंने उसे सहन किया। केवलज्ञान प्राप्त करके उन्होंने सिद्ध गति पाई। ___चौथे और पाँचवें वर्गों में दस-दस अध्ययन हैं। पाँचवें वर्ग के पहले अध्ययन में पद्मावती की कथा है । द्वीपायन ऋषि के कोप के कारण द्वारका नगरी के विनष्ट हो जाने पर जब कृष्णवासुदेव दक्षिण में पांडुमथुरा (आधुनिक मदुरा) की ओर प्रस्थान कर रहे थे, तो मार्ग में जराकुमार के बाण से आहत होने पर उनकी मृत्यु हो गई और मर कर वे नरक में गये ।' रानी पद्मावती ने अरिष्टनेमि के पास दीक्षा ग्रहण की।
छठे वर्ग में सोलह अध्ययन हैं। राजगृह में अर्जुनक नाम का एक मालाकार रहता था | उसकी भार्या का नाम बन्धुमती था ।
१. घटजातक में वासुदेव, बलदेव, कण्हदीपायन और द्वारवती की कथा आती है।