Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan
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अनुक्रमणिका
७९१. अतिमुक्तकचरित ५२६
अनेकान्तवाद ३३१, ४२३ अथर्ववेद ८०,३८७,३८८,३९०, अन्नायउंछप्रकरण ३४९ अदत्तादान ९३, २१४
अनिकापुत्र २०७,३०७, ४९१, अदन्तधावन ३०८
अन्य चरितग्रंथ ५६८ | अद्दालय १८७
अन्यतीर्थिक १४५ अदभूतदर्पण ६२६
अपभ्रंश ४, ५, १०, २६७, ३६१ अद्भोरुग १८५
(नोट), ४१७, ४२९, ४४०, ४४१ अद्धजंघा (जूना) १३७, २२७
(नोट), ४४४, ४४५, ४५५, ४५६, अदृश्य अंजन ४५०
४६३, ५०२, ५०६, ५९९, २०२, अद्वैतवादी ५२
६०३, ६२१, ६३९, ६४०, ६४२, अधर (अभिनय) १३३
६४४, ६४५, ६४६, ६४७, ६५१,
६५७,६९१ अध्वगमन २२३
अपभ्रंश काल ३७५ अनंगवती ६५९
अपराजित २६९ (नोट), ३१६ अनंतकीर्तिकथा ४८९
अपराजित कुमार ५०६ अनंतनाथस्तोत्र ४४८
अपराजिता ५३१, ५३२ अनंतनाहचरिय (अनंतनाथचरित
अपराजितसूरि १७४,३०५, ३०६ ५२६,५६९ अनंतहंस ५६८
अपरिग्रह ९४ अनगार के गुण ६३
अपर्युषणा १४२ अनवस्थाप्य १५०, १५९, १६२ अपरान्त (देश)६८४ अन्तेवासी १५३
अपलेपचिह्न ६५० अन्तःपुर १४१
अपवाइजमाण २७४ अनायतनवर्जन १८२
अपशकुन (साधुदर्शन) २३२ अनाथी मुनि ३५७
अपापाबृहत्कल्प ३५४ अनार्य ५०, ११३, १४५
अप्रतिचक्रेश्वरी २९६ अनार्य वेद ३९०, ५०४
अप्पयदीक्षित ६४७, ६५६ अनिमित्ता (लिपि) ४९६
अप्पयज्वन् ६४७ अनिरुद्ध भट्ट ६४२
'अप्पां तुप्पां' (मरुदेश में प्रयोग) अनुयोग १०२ अनुमान १९२
अप्राशुक ३२० अनुद्धाती १५१, १५९, २२९
अब्दुर्रहमान ५४० अनुप्रवादपूर्व २३०
अभितरनियंसिणी १८५ अनुयोगद्वारचूर्णी १९१, २६०, ६८० अब्रह्म ९३ अनुयोगधारी ३७
अभय (का आख्यान)४४५ अनुयोगद्वारसूत्रवृत्ति ५०५. अभयकुमार ७५, २५१ । अनुष्टुप ५२, ५८६
अभग्गसेण ९६ अनूप (देश)६८४
अभयघोष ३०७

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