Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 828
________________ ८२२ प्राकृत साहित्य का इतिहास दामोदर ५७३ (नोट) दिशाशूल ६७६ दाराशिकोह ६६६ दीक्षा का निषेध ५१७ दारिद्रय ५६९ दीघनिकाय २२७ (नोट) दावदव (वृक्ष)२ दीनार २१६, २२३ दास (दीक्षा के अयोग्य) ५७, ५८, दीपिका १९३ ११२, १४२ दीवायण (दीपायन ऋषि) ८९, दासचेट.९ १८७, १८७ (नोट), २६८, ३०१, दासी १४१ ५६७ दासीविक्रयपत्र ४६९ (नोट) दीवसागरपन्नत्ती (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति) दिगम्बर २१,२३, ३५, ४९५ ३३ (नोट), ५८, ११८, १२९, दिगम्बरोत्पत्ति ३३० १३३, १९०,२७२ दिगम्बरनिराकरण ३३२ दीहदसा ४१, ६१ दिगम्बरमतखंडन ३३३ दीहपट्ट (सॉप)१५१ दिगम्बर संप्रदाय के प्राचीन शास्त्र दुखील (सीने की विधि) १३७ दुगुंछिय (जुगुप्सित) १४५ दिगम्बर-श्वेताम्बर सम्प्रदाय २६९ दुग्ग ४१७ दिहिवाय (दृष्टिवाद) ३४, ३६, ३८, दुग्धजाति (मग्र) १११ (नोट) ४१, ५७, ६१, ६३, ६४, ९८, दुपड (द्विपुट-जूना) १३७, २२७ ९९, १०२, १०४, १४६, १५३, २,६७८ १६५, २३०, २४६, २४७, २५१, दुर्गणाचार्य ६४७ (नोट) २७१, २७२, २७३ (नोट), २७४, दुर्गिलिक (पत्रवाह)४०५ २८४, २८५, २९४, ३५२ दुर्गाप्रसाद यति ६०४ 'दिण्णरुले गहियल्ले' (महाराष्ट्र में दुर्भूतिका (भेरी) २२१ प्रयोग) ४२८ दुर्मुख १६८ दितिप्रयाग (प्रयाग)३९० दुर्विदग्धा (परिषद्) २२१ दिनसुद्धि ६७६ दूतवाक्य ६१५ दिलाराम ३१३ (नोट) दूती १४४ दिबी ६०१ दिवाकर (जोगी) ४५० दूष्यगणि १८८ दिवाभोजन १४२ दूष्यपंचक ३३० दिवाली ४२२ दृढ़प्रहारी ५०१,५१६ दिव्यावदान २६८ हदवर्मा ४२९ दिशाओं का पूजक १२१ दृष्टसाधर्म्य १९२ दिशाचर २०७ (नोट) दृष्टान्त ३३० दिशाप्रोचक ७२ रष्टिवाद के पाँच अधिकार २७२ दिशाप्रोचित २४६ रष्टिमोहन ३७०, १५० दूष्य २२७

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