Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan
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८२०
प्राकृत साहित्य का इतिहास तेजोनिसर्ग अध्ययन १५३
त्रैराशिक ६३, ६३ (नोट), ६४, १०३, तेजोलश्या ७३, ५५७
१८९, २५० तेयली ८३
त्रैराशिकवाद २७२ तेयलीपुत्र (तेतलीपुत्र) ८३, २०६ तेयलीपुर ८३ तेल ५६४
थारापद गच्छ १६४, ३४० (नोट) तेलटिल्ल ४४७
थारुगिणी (दासी) १४१ तैलंग (तेलंग)३२३, ३५३ थावचापुत्त (त्र)८०,५६७ तोटक ६१२, ६२७
थीवो (डॉक्टर) ११५ (नोट) तोरण ११२
थुल्लसार २३४ तोरमाण (तोरराय) ४१७ थूणा (स्थानेश्वर)४३, १४५, १५८, तोसलि आचार्य २०१
२२७ तोसलि देश २०१ तोसलिपुत्र १०१, २०३, ३५४, ५२६
दंडनीति (सात) ६० तोसली २१७, २२७
दंडनीति (कौण्डिन्य की) १८९(नोट) तौणी (मिट्टी का बर्तन) ५१० (नोट)
२२० (नोट), २४९ स्योहार ११२
दंडकपंचक ३३० त्रिकनय (परिपाटी) १०३
दंडप्रकरण ३४६ त्रिदंडी २०२, ३८८, १३८
दंडि (सीने की विधि) १३७ त्रिपिटक ४५
दंडी १२, १३, २४, २५, २८, ५८५, त्रिपुरा विद्यादेवी ५६०
६४२, ६५६ त्रिमुख २९५
दंतकर्म १४३, ४२३ त्रिलोक पैशाचिक विद्या ४४९ दंतकार ३९२ त्रिलोकसार २९३, ३१३, ३१४, ३१६ दंतवाणिज्य ६४ (नोट), ८६ त्रिवर्णाचार २७३
दंशमशक (डाँस-मच्छर ) ४७, ४८, त्रिविक्रम (दमयन्तीकथा के कर्ता) ५३, ९४, १६५ (नोट) ४१७
दसणपाहुड ३०१ त्रिविक्रम ९, २७, २९, ६०३, ३०५, दक्षिण ३२१, ३५३
६०६, ६१४, ६४४, ६७, ६४८ दक्षिण दिशा ६०१ त्रिविधविद्याधर ३२६
दक्षिणप्रतिपत्ति २७५, २७६ त्रिविष्ट (त्रिपृष्ठ वासुदेव) ३९३, दक्षिणापथ २१९, २२३, २२७, २७८, ५०३, ५५०
४१९ त्रिवेन्द्रम ६०६
दगवीणिय (पतनाला) १३६ त्रिशला १५६, ५५३
दण्ड १३६, १८५, १८६ त्रिषष्टिशलाकापंचाशिकाप्रकरण ३४९ दण्डलक्षण ३३० 'विद्यमुनि ६४४
दण्डकारण्य ५२२

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