Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

View full book text
Previous | Next

Page 864
________________ अनुक्रमणिका / विजया (नगरी)३६६, 423 विनय 55 विजयाचार्य (अपराजितसूरि) 174 विनय की मुख्यता 491 विजयोदया (टीका) 174,305 विनयकुशल 679 विजहन 307 विनयचन्द्र 439 (नोट) विजाचरण-विणिच्छिा 190 विनयपिटक 133 (नोट), 160 (नोट), विजाहर (कवि) 654 214 (नोट) विज्झडिय (मछली) 113 (नोट) विनयवस्तु 268 विज्ञानवाद 272 विनयवादी 74, 202 वितस्ता 60 विनयविजय 344 विदण्ड 185, 186 विनयसेन 321 विदर्भ 684 विनयहंस 164 विदुर 449 विनीता 418 विदूषक 611, 612, 614, 617, विन्ध्य पर्वत 678, 684 627 (नोट) विन्ध्यवासिनी 590 विदेह (पुरुष)२०० विपग्रह 218 विदेह राजा 81 विपरीतमत (ब्राह्मणमत)३२० विदेह (देश) 113 (नोट) विपाशा 60 विदेहपुत्र कूणिक 65, 71 विपुल (वेपुल्ल) 294, 294 (नोट) विद्धशालभंजिका 629 विप्र (विनों में विमाता से विवाह) विद्या 354, 365, 389, 423, 480, 252 529 विभंग अट्ठकथा 16 (नोट) विद्याचरण 74 विभाषा 31, 642, 643 विद्यातिलक 505 विभीषण 392, 529 विद्याधर 529 विभेलक यष५५६ विद्यानन्दि भट्टारक 301,326 विमर्शिनी 661 विद्यानुप्रवाद 35 (नोट), 102 विमल 418 (नोट), विमलसूरि 313, 527,528,534, विमाता 252 विद्यानुयोग 33 विमात्रक 218 विद्यामठ 511,560 विद्यालय (सुभाषित ग्रंथ)५८५ विमानपंक्ति (व्रत) 323 विधुवर 307 वियड (मध) 146 विशुद्धता 309 वियष्टि 185, 186 विदुम 674 विया (मा)हपण्णप्ति (व्याख्याप्रविधवा 184 ज्ञप्ति)३४, 39,42, 62 (नोट), विधिमार्गप्रपा 351 64 (नोट), 65, 88, 153, विधि-विधान (क्रियाकाण्ड)३५१ 197, 271, 272, 284, 514

Loading...

Page Navigation
1 ... 862 863 864