Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 845
________________ अनुक्रमणिका ८३९ बिंबिसार (भभसार). (नोट), १२७, १५, १९५, बिजौरा (बीजर) ४७३ २०२, २७५, ३०७ बिन्दुमती ४२९ बृहद्गच्छ ३४६ बिम्बप्रतिष्ठा ३४० बृहदातुरप्रत्याख्यान १२४ बिहार ३५३ बेगड ३६७, ४८१ बिहारीसतसई ५७५ बेड़िय (बेड़ा)३६७, ४८१ बीजायतनिराकरण ३३३ बेताल ३६९ बीरबल २५१ बेदुल्ल ५६४ बुबाभो ३७२ (नोट) बेन्या २७९ बुक्कस २०० बैकुंठचरित ६३२ बुनकर ११४ बोंडय (सूत्र) १९१ बुद्ध ८, ६४ (तीर्थकर), २३१ बोटिक (दिगंबर) २३०,२३३, २५०, बुद्धकीर्ति मुनि ३१९ ___ २६९ (नोट), ३१९ (नोट) बुद्धघोष १९३ बोधपाहुड ३०१ बुद्धदर्शन ४२३, ५६५ बोधिक (चोर)-बोध २१३, २११ बुद्धभट्ट ६७८ (नोट) बुद्धवचन १८९ बोहिस्थ (जहाज) ३६७, ४८१, ५६४ बौद्धधर्म ३१९ बुद्धांड३५३ बुद्धि के चार भेद५९,३५८,४९३,५०४ बौद्ध जातक २६८ बुद्धि (परिषद्) २२१ बौद्ध दर्शन की उत्पत्ति ३१९ (मोट) बुद्धि ३१६ बौद्ध त्रिपिटक १४, ३९ (नोट) बुधस्वामी २८ बौद्ध भिक्षु (रक्तपट) ४९४ वृहटिपणिका ६७३ बौद्ध मत (की उत्पत्ति)३१९ बृहत्कथाश्लोकसंग्रह २८ बौद्ध भिक्षु की कथा ४९४, ४९५ वृहत्कथामंजरी २८ ब्रह्म (यव)२९५ बृहत्कथाकोष ३७५ ब्रह्मगुप्त ११५(नोट) बृहत्कल्पभाष्य १६१, १९५, २११, ब्रह्मचर्य (अठारह) १२, ९४ २५१, २७०, ३०४, ३५३, ४५६, ब्रह्मदत्ताकथा ४८९ ४६४, ६६९ ब्रह्मदेव ३१५ बृहत्कल्पनियुक्ति २०२ ब्रह्मर्षि ११६ बृहत्क्षेत्रसमास ३२९, ३४६ ब्रह्मर्षि पार्श्वचन्द्रीय १५४ बृहत्संग्रहणी ३२९ याचड ६४० बृहत्पावलि (अंचलगच्छीय)३५५ ब्राह्मग ५५, ५९, १११, १५५ बृहन्नयचक्र ३२२ ब्राह्मणों की उत्पत्ति २५०, ५२९ बृहत्कल्प (कप्प-कल्प-कल्पाध्ययन) ब्राह्मी (बंभी) १५, ६२, ६१, ६६, ३४ (नोट), ३५, ४१, ४३, १०२ १४, ६८१

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