Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 861
________________ प्राकृत साहित्य का इतिहास वज्रशृंखला २९५ वरदाम ५७, २४५ (नोट), ३८९,५१४ वज्रसेन ३४९ वरदेव ५६८ वज्रसेनसरि (रत्नशेखरसूरि के वररुचि ९, ११, १२, २१, २१, २१, २७, ६०३, ६०५, ६०६, ६४, वज्रांकुशा २९५ ६२४, ६३६, ६३७, ६३८, ६४२, 'वज्रांगयोनिगुदमध्य' ४८३ ६५७, ६४८ वटवासिनी (भगवती) ५५१ वररुचि २५१, ४६८ (नोट) वट्टकेर १६१ (नोट), १८० (नोट) वरवारुणी १११ (नोट) २१०, २७३, ३०८, ३१६ वरसीधु १११ (नोट) वट्टा ११४ (नोट) वराहमिहिर १२८, २६७ वडगरा (मछली) ११३ (नोट) वरुणोपपात (वरुणोववाय) १५३,१९० वडम २३४ वर्गणा २७६, २८७ वडभी (दासी) ४१ वर्णछन्द ६॥ वडसफर (जहाज़)४८१ वर्णवाद १४२ वडा (मछली) ११३ (नोट) वर्धमान (महावीर ) ५५४ वडकर (यक्ष)४४६ वर्धमान (पुरुष)३०९ वड्ढमाणविज्जाकप्प ६७५ वर्धमानग्राम ५५४ वणिक् (झंटन)४९८ वर्धमानदेशना ५२३ वणिक लोग ३७ वर्धमानसूरि (आदिनाथचरित के वाणिकन्याय २२९ कर्ता)५२६, ५६० वण्हिदसा (वृष्णिदशा)३४, ११८, व २२५ १२२, १९० वर्षधर १४१ वरस (राजा) ६२३ वर्षाकाल २१८ वत्सराजकथा ४८९ वर्षाकाल में गमन २२५ वन २६० वर्षा ऋतु का वर्णन ५६० वनकर्म ६४ (नोट), ८६ बलभी (ग्राम) २२२ वनवासि यक्ष ४४६ वलभी २०, ३७, ३८, १२९, २७० वनस्पतिविज्ञान ४३ (नोट),३१९ वनस्पति में जीवसिद्धि ३९२ वलभी वाचना ३८, १९४,२५५ वनस्पतिसत्तरिप्रकरण ३४९ वल्कलचीरी १८७, १८७ (नोट), बनिता १२६ २६८, ३८३ वनीपक ५१ (नोट), ५६, ५९ वगुमती २०१ वनौकसी ६४२ वसमक (पुरुषवष)३०९ वमन १४४ वह ५७३ (नोट) वष्प (चैत्यवृक्ष) ६१ वशिष्ठगोत्रीय (त्रिशला) १५६ वरणा १४ (नोट) वशिष्ठ मुनि ३०१

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