Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 853
________________ ८५८ प्राकृत साहित्य का इतिहास माहणकुंडग्गाम ७२, १५५ मुनिचन्द्र (शांनिसूरि के शिष्य)५६९ माहवसेण ५७३ (नोट) मुनिचन्द्र (वनस्पनिमत्तरिप्रकरण के माहेश्वर कुल १८० कर्ता)३४९ माहेसर (लिपि) ६३ मुनिचन्द्र (साधु) ४३८ मिअंग ५७३ (नोट) मुनिचन्द्र (चूर्णीकार) ३३४ . मित्र का लक्षण ४११ मुनिचन्द्र (पार्धापस्य ) २५० मिथ्याशास्त्र १९१ मुनिचन्द्रसूरि (वीरदेव के गुरु) ४८८ मियापुत्त (मृगापुत्र) ९५, १६४, मुनिचन्द्र (रसाउलो के कर्ता) ५८५ १६८, २०३,३५७, ३५८, ५१५ मुनिचन्द्रसूरि (वादिदेवसूरि के गुरु) मिलिन्दपण्ह १८० (नोट) मुनिभद्र ५६९ मिश्र (प्रायश्चित) १६२ मुनिसुन्दर (उपदेशरवाकर के कर्ता) मिश्र (अपभ्रंश) ६५७ ४९०, ५२१ मिश्रप्राकृत भाषा १९६ मुनिसुन्दर ३५५ मिश्रभाषा ४२९ मुनिसुव्रत (नाथ)५३१, ५६१, ५६५ मिष्टान्न ११२ मुरुण्ड ९२, २१९ मिहिला (मिथिला) ६१, ११३ मुलतानी (मुद्रा) ६७९ (नोट), १४१, १५६, १६५ मुष्टिक (मल्ल) ६०९ (नोट) १६६, ३०९, ३५३, मुसुदि १०६ ३५४, ५३२, ५५७ मुहम्मदशाह (तुगलक)३५३ मीणा (मछली) ११३ (नोट) मूअ २३४ मीमांसा १०४ मूत्रपान १६० मुंज ६५८ मूर्धाभिषिक्त १४०, १४१ मुंडी २४६ मूलक (देश)६८४ मुकुंद १४०, ५५५ मूलगुण ( अट्ठाइस)३०८ मुकुंददेव ६४२ मूल गोत्र (सात) ६० मुकुंदमंदिर ४५४ मूलदेव (मूलभद्र) २११, २१२, मुक्तक काव्य २६, ५७३ २६८, ३४१, ४९३ (नोट), मुक्ताफल ६७८ ४३७,४४५,४६३, ४९४, ५०३ मुक्तावलि (तप) ५१२ मूलदेवी (लिपि) ४९६ मुखवस्त्रिका १८५ मूलनय (सात)६० मुख्तलफी (मुद्रा) ६७९ मूल प्रायश्चित १६२ मुणिसुम्वयसामिचरिय (मुनिसुव्रत मूलराज ५९९ स्वामिचरित) ५२६, ५६९ मूलशुद्धिप्रकरण ४३३ मुद्राराक्षस २२, ६२४ मूलशुद्धिटीका (स्थानकप्रकरणवृत्ति) मद्राविधि ३५२ ४५६ मूर्च्छना १९०

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