Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

View full book text
Previous | Next

Page 837
________________ अनुक्रमणिका पत्तन १५८, २२१ परमार ३७३ पत्रच्छेद्य ४२३ परमारवंश ६५८ पत्रनिर्याससम १११ (नोट) परमेष्ठिस्तव ५७२. पत्रवाहक ४०५ परमेष्ठिनमस्कारस्तव ५७१ पदमार्ग १३६ परशुराम ३९० पदानुसारी २०६ पराशर ६७५ पद्धडिया ४७१ . पराशर (ऋषि) १८७ (नोट) पद्धति (टीका)२७५ परिकथा ३६१ (नोट) पद्म (राम)५२७, ५३२ परिकर्म १०२, १०३, २७२ पद्मनंदि (कुंदकुंदाचार्य) २९७ परिकर्म (टीका) २७५ पद्मनंदि मुनि (जंबुहीवपण्णति. परिग्रह ९३, १७८ संग्रह के कर्ता) ११६ (नोट), परिपाटीचतुर्दशकम् ३४४ ३१५, ३१६ परियापनिका १५३ पद्मप्रभमलधारिदेव ३०० परियों की कथा ४४७ पभप्रभसूरि ६७५ परिवसणा १४२, २०३ पनप्रभस्वामीचरित ५२६ परिव्राजक १९१, २०० पद्मप्रामृतकम् ५८९ परिषद् १११, २२१ पद्मवरवेदिका १२ परिष्ठापन (विधि) १५९, २५१ पद्मश्रीकथा ४८९ परिहारकल्प १५० पद्मसार ५६४ परीषह ४७, १३, १२९, ३३० पभसागर ४९० पर्याप्ति २८० पद्मसिंह ३२२ पर्याय १५३ पासुन्दर ५३७ (नोट) पर्युषणा १४२ पद्मावत ३६६ (नोट) प!षण १४२, १५५, ४५८ पद्मावतीचरित ५२६ पyषणादशशतक ३४२ पभावती (देवी) ६०० पर्व (का माहात्म्य) ४८३ पनावती (सनी)८९, ९३ पर्वत और महामेघ (संवाद)२५२ पनुती (दासी) ४६९ (नोट) पर्वतयात्रा ४४९ पन्नति (महाविद्या) ४५२ पलास ६१ पनवणा (प्रज्ञापना) ३४, ३९, ४३, पलववंश २८ ६६, १९०, १९१ (नोट), १९८, पल्हविया (दासी) १४१ ५१४ पवनंजय ५३१ , पमायप्पमाय १९० पवनसंचार ५४९ पयोधर (अभिनय) १३३ पवरसेण (प्रवरसेन) ५७३, ५७४ परमाणुविचारपटन्निशिकाप्रकरण ३४९ (नोट)। परमात्मप्रकाश ३२४ पवहण (प्रवहण) ३६७, ४८१, ५६४

Loading...

Page Navigation
1 ... 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864