Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan
View full book text
________________
७९२
प्राकृत साहित्य का इतिहास अभय चन्द्र ३१३
अमोघवर्ष २९१ अभयदान ५६६
अम्मड १०७, १८७ अभयतिलक राणि ५९९
'अम्हं काउं तुम्हें' (लाट देश में अभयकुमार ६०१
प्रयोग)४२७ अभयदेवसूरि (जयतिहुयाग के कर्ता) अमृतचन्द्रसूरि २९८, २९९, ३०० ५७१
अमृताशीति ३२४ अभयदेवसूरि (मलधारी) ५०५ अयोगव २०० अभयदेवसूरि ५२९
अयोध्या ३५१, ४२९, ५३३, ५८६, अभयदेवसूरि (वर्धमानसूरि के गुरु) ५९१
अयोध्यावासी ४२३ अभय देवसूरि १९, ४०,५६, ५७, ६२, अर्गला १०६
६६, ७३ (नोट), ७५, ८८, ९०, अरहंत १५५ ९२, ९५, १०५, १३२, १९९, अरहनाथ ३९३ २६७, ३३१, ३३२, ३३७, ३४०, अरिष्टनेमि ५९, ८०, ८९, २२, १६९, ३४४, ३४५, ३४८, ३५५, ४३१, ५२५, ५३१
४४८, ५१९, ५२६, ६६९ अरिष्टनेमिकल्प ३५४ अभयदेव (पंचनिग्रंथीप्रकरण के कर्ता) अरुणोपपात (अरुणोववाय) १०४ ३४९
(नोट), १५३, १९० अभयसिंह ४६३
अरेबियन नाइट २६८, ४४७ अभिषेकशाला २९४
अर्जुन २०७ (नोट) अभिधानराजेन्द्रकोष १९६ (नोट) अर्जुन (छंदशास्त्र के कर्ता) ६५३ अभिनवगुप्त ५९४, ६२७, ६५६, ६५८ अर्जुनक ८८, ८९, ९० अभिधानचिन्तामणि ६५५
अर्थकथा ३६०, ३६१ अभिमानचिह्न ६५५,
अर्थोत्पत्ति (के साधन)४१९ अभिनय के प्रकार ४३३
अर्धफालक २७० (नोट) अभ्युत्थानसंबंधी प्रायश्चित्त २२८
अर्धप्राकृत ८ अमरचन्द्र कवि ६३४
अर्धमागधी ४, ८, ११, १६, १९, २७, अमरुकशतक ५७५
२९, ३९, ४०, ६४, ७१, २७१, अमरु ५७५
४४०, ६११, ६१ (नोट), ६१४, अमम ५६८
६३७, ६४१, ६४३, ६४४, ६४९, अमरसिंह ४६३
६८५, ६८६ अमरकीर्तिसूरि ३४२
अर्बुदगिरि (अर्बुदाचल) २२६, ५६१ अमारि ४८२, ५०७
अनन्दि ६४५ अमात्य २२०
अलंकार ५९, ३५४, ४७३, ४७५, ५०१, अमितगति ३०५, ३१९ (नोट) ५०७ अमित्र का लक्षण ५६०
अलंकारचूणामणिवृत्ति ५९४

Page Navigation
1 ... 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864