Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan
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अनुक्रमणिका
ऋ
उपधान ६५५, २२७
उवसग्गहर ५७१ उपवास ६८
उववाइय (ओववाइय-औपपातिक) उपसर्ग २०६
१०४, १९० उपदेशचिंतामणि ४९०
उवहाणपइहापंचासय ३५२ उपदेशपद ३७ (नोट), ३६२, ३६७, उवहाणविहि ३५१ ३७३, ४९०, ४९९
उवासगदसाओ (उपासकदशा-उपाउपदेशकंदलि ४९०, ५२१
सकाध्ययन)३४,६१,८५,९५, उपदेशकंदलिप्रकरण ५२१
२७२, ३५२ उपदेशरत्नकोश ४९०
उसगारा (मछली) ११३ (नोट) उपदेशमालाप्रकरण (पुष्पमाला) उसाणिरुद्ध ६०७, ६०९, ६३८, ६९०
३६०,३६२,५१४ उपदेशरत्नमाला ३६२
ऊनोदरी १५२ उपधि १८४, २२६
ऊर्जयन्त ( उजयन्त) ६९४, ३०३, उपधिनिरूपण १८२
५६५ उपांग ३३ (नोट), ३४, २७१ उपाख्यान ३६१ (नोट) उपाध्याय १५०
ऋक्षवत् (पर्वत) ६८४ उपाध्याय यशोविजय ११४, ३३५ ऋग्वेद ३, ५, ५८, ८०, ३५६ उपाध्यायशाला ५६२
ऋणभंजक ९३ उपानह १८५
ऋणपीडित ५८ उपनागर ६४०
ऋषभपंचाशिका ५७०, ६५५ उपनिबंध ४७३
ऋषभदत्त ७२, ३५५, ५५७ उपनिषद् ३५६
ऋषभदेव ६२ (नोट), ११६, १५६, उपमितिभवप्रपंचाकथा ३६१ (नोट २०६, २४९, २५०, ३१९, ५२५, ३७५, ५१४
५५१, ५६५ उपरूपक ६२
ऋषि (परिषद्)१११ उमास्वामि (ति) २७३, ३३९, ५२६ ऋषियों की भाषा (आर्ष) १६ उम्बरदत्त ९७
ऋषिक (देश)६८४ उरोह १०६
ऋषितडाग २२६, ६८३ उल्लूखाँ ३५४
ऋषिपुत्र ६७० उल्लासिक्रम (व्याख्या) ५७० (नोट) ऋषिदत्ताचरित ५९६ उवएममाला (उपदेशमाला-पुष्प- ऋषिभाषित (देखो इतिभासिय)
माला )३६२, ३७३, ४९०, ५००, ३३ (नोट), ६४, १२९, ६९४, ५०५ (भवभावना)
२०२, २३०, २७३ (नोट) उवएसरयणायर (उपदेशरत्नाकर) ऋषिभाषितनियुक्ति ३४ (नोट) ४९०, ५२१, ५२२
ऋषिशैल २९४

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