Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 809
________________ ८०२ प्राकृत साहित्य का इतिहास कपूर ५६४ कलिंजर पर्वत ५४९ कर्पूरमंजरी २२, २७, ५७३ (नोट), कलेला दमना की कहानी २६८ ६०६, ६१०, ६२८, ६३१, ६३२, कल्प (अंग) १०४ ६३३, ६३४, ६३८ (नोट), ६५४, कल्पप्रदीप (विविधतीर्थकल्प) ३५३ ६५६, ६५९, ६६४, ६९० कल्पव्यवहार २७१, ३२५ कर्पूरमंजरीकार ६२८ कल्पवृक्ष ६२ कर्बट (क) १४९, १५८, २२१, ३१० कल्पसूत्र (पज्जोसणाकप्प) ३३ (नोट), कर्मआर्य ११४ ४०, ४३, १५५, ५२५ कर्मकाण्ड २७७ कल्पाकल्प २७१,३२३, ३२५ कर्मकार १९१, २४९ कल्पातीत १२८ कर्मग्रंथ १९७,३३६, ३३७, ३४९ कल्पाध्ययन (बृहस्कल्प) १५७ कर्मगति ४१२ कल्पोपपन्न १२८ कर्मजा (बुद्धि) ४९३ कल्याणविजय १२९ कर्मजंगित २१९ कल्लाणयथोत्त ५७२ (नोट) कर्मपरिणति ३७१ कल्लाणवाद २७२ (नोट) कर्मप्रवाद (पूर्व) १०२ (नोट), कल्लणालोयणा ३२६ १७४, २४७२७५ कल्हण २९ (नोट) कर्मबंध १५६ कवच ३३ (नोट), १३२ कर्मभूमि ७४ कवडग २१६ कर्मसिद्धान्त ३३५ कवलाहारी १५२ कर्मसंवेद्यभंगप्रकरण ३४९ कविदर्पण ६५१, ६५२, ६५३ कर्मादान (पन्द्रह) ६४ (नोट), ८६,४५५ कषाय (चार) ६२ कलंद ६० कसायपाहुड (कपायप्राभृत) २७२ कलश (पाधू)३२१ (नोट), २७५, २७७, २८४, २९०, कलश २९५ ३१४, ३३६ कलह ११२ कहाणयकोस (कथाकोषप्रकरण-जिनेकला ७५, ७५ (नोट), १११, १८९, श्वरसूरिकृत) ३६२, ३७४, ४३१, ३७९, ४००, ४३९, ५०७ ६७४ कला (आचार्य) १११ कहानिबंध ५३५ कलांकुर ४१३ (नोट) कहारयणकोस (कथारतकोश-गुणच. कलावती ६२७ न्द्रगणिकृत)३६२, ३६९, ३७४, कलिकालसर्वज्ञ (हेमचन्द्र ) ४५६ ४४८,५४६, ६६९, ६७१ कलिकंड ५४८ कहावलि (कथावलि) ४३९ (नोट), कलिंग १३ (नोट), २३३, ३२६, ५२५, ६७१ "३७०, ४५९, १८५, ६७८, ६८२ कहावीह ५३५

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