Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan
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अनुक्रमणिका कत्तिगेयाणुवेक्खा ३०२ (नोट), ३१२ कपिल (य)४८२ कथाविज्ञान ३६०, ३८६
कपिल (सांख्यमतप्रवर्तक) ४५१ कथा (प्रकार) २०९, ३१०, ४१८ ५५१ कथाओं के रूप ३६०,३६१ (नोट), कपिल (ब्राह्मण) ४९९ ४१८
कपिशीर्षक १०६ कथाओं का महत्व ३५६
कपोल (अभिनय) ४३३ कथाग्रन्थों की भाषा ३७२ कप्प (बृहत्कल्प) ३५, ९९, १३४, कथाकोष (प्राकृत में) ४३९ (नोट) १५४, १५७, १९०, १९४, १९६, कथानककोश (धम्मकहाणयकोस) १९७, २०३, २१, २१७, २४७, ४३९ (नोट)
३०४,३०६, ३२३ कथामहोदधि ४३९ (नोट)
कप्पचूर्णी २४६ कथारनाकर ४३९ (नोट) कप्पवढंसियाओ३४, ११८,१२१,१९० कथारत्नाकरोद्धार ४३९ (नोट)
कप्पाकप्पिय १९० कथासरित्सागर २८,३८२ (नोट)
कप्पासिभ १८९ कथासंग्रह ४३९ (नोट)
कप्पिया ११८, १९० कदलीघर ११२
कमठ ५४६ कदलीगृह २९४
कमढग (कमढक) १८५, २१८ कनककर्म ४२३
कमलपुर ३८८ कनकपट्ट ४८२
कमलप्रभाचार्य ५७१ कनकमञ्जरी २६८
कमलसंयम १६४ कनकलता ३०९
कमलामेला २२० कनकसत्तरि १८९
कम्मणदोस ५५० कनाडी ५७०
कम्मस्थव ३३६, ३३७ कनिष्क ४३
कम्मपयडि (कर्मप्रकृति) १०३, ३३५, कनेर के फूल ५४७, ५६० काड ४२३
कम्मविवाग ६१,३३६, ३३७ कन्नौज (देखो कान्यकुब्ज) २८, करमविवायदसा ९४
४२३, ५८९, ५९२, ६४६ (नोट) कयवरुक्कुरुड (कचरे की फूड़ी) ५१२ कन्या का पुनर्विवाह ५४९ करकण्ह १६८, २०३, २०७, २६८, कन्यानयममहावीरकल्प३५५
३५८, ५२७ कन्या विक्रय ४६९, ५००
करलक्खण ६७६ कपटग्रन्थि ४९२
करुणादान ५६७ कपर्दिकयक्ष (कवडियक्ष) कल्प ३५४, कर्णभार ६११ (नोट) ४४६,५६१
कर्णशोधक १३६ कपास १३९
कर्णाटक ३२६, ३५३, ३६६, ४२७ कपिल ६४२
कर्णीसुत ४१३ (नोट) ५१ प्रा० सा०

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