Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan
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७९४ प्राकृत साहित्य का इतिहास अष्टाह्निका (पर्व) ५३३
आक्षेपिणी २०९, ३६१ (नोट) 'अष्टादशभाषावारविलासिनीभुजंग' आकृष्टि ३७०, ४५०
आख्यान २४७, ३५८, ३६०, ३६१ असंयम (सत्रह) २
(नोट) असद्भाववादी ९३
आख्यानमणिकोश ३६२, ३६९, ३७४, असतीपोषण ६४ (नोट)
४४४, ५४१ असत्थ-आसत्थ (अश्वत्थ)६१, १३९ आख्यायिका २४७,३६०,३६१ (नोट) असमाधिस्थान २४७
आख्यायिका (पुस्तक) ३६०,३८६ असमाधिस्थान (बीस)६३
आगंतगार १४० असमाधिस्थान (प्राभृत) १०२
आगम ३५, १५३, ३०७ (नोट)
आगमनगृह १५९ असि यक्ष ५६१
भागमवादी ३२९ असित देवल १८७ (नोट)
आगम साहित्य में कथायें ३५६ असुर ६८
भागमों की व्याख्याओं में कथायें ३५८ अस्तिनास्तिप्रवादपूर्व ३५ (नोट) आगमों का काल ४४ अस्नान ४७९
आगमोत्तरकालीन जैनधर्मसंबंधी अस्त्र १११ अहल्या ९३
साहित्य ३२८ अहिंसा ९३, ९४, १७८
आगमिक १८९ अहिच्छत्र (अहिछत्रा) ८३, ११३,
आगमिक मत-निराकरण ३३२ (नोट), ३०३, ३५३, ५४८
आगार २४६
आचार ६७ आंग (देखो अंग)
आचारप्रकल्प (निशीथ) १३५, आंचलिक ३३२
१५०, १५१,१५३ आंध्र २१९, २४४, २७४, २७९, ४२८,
आचारप्रणिधि ३.७
आचारविधि (आयारविहि) १५९, ४६४, ६४७ आंध्र-दमिल २४६
३४४, ३५० आंध्र वंश ५७५
आचारसंपदा ३५४ आंध्री ६१२
आचारांगनियुक्ति १९९ आमीय (आमीय) १८९ ( नोट)
आचारांगसूत्र (आयारंग) १८, भाउरपचक्खाण (आतुरप्रत्याख्यान)
३४, ३४ ( नोट), ४१, ४३, ४५, ३३ (नोट), ३५, १२३, १२४,
५७, ६१, ६२, १३४, १७७ १२८,१९०
(नोट), १९४, १९७, १९८, आकर (मह) १४१, १५८
२१२, २१४ (नोट), २७१, आकरावंति (देश)६८४
२७५ (मूलाचार), २९२, ३०४, आकाशगामिनी विद्या (आकाशगता) ३०६, ३०७, ३०८ (मूलाचार), २०६, २५०, २७२
३१६,३५२
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