Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan
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अनुक्रमणिका
७९३
अलंकारशास्त्र ६५५, ६५६ अलंकारतिलक १७ (नोट) अलंकारसर्वस्व ६६१ अलंकारचूडामणि ५९५ अलंकारिय (नाई)९७ अलंकारियसभा ८२ अलमोड़ा ६३३ अलाउद्दीन ६७८ अलाउद्दीन सुलतान ३५४ अलाउद्दीनी (मुद्रा) ६७९ अलाउद्दीन मुहम्मद खिलजी ६६५ अल्पाहारी १५२ अवंध्य (अवंझ)३५ (नोट), २७२
(नोट) अवग्रहपंचक ३३० अवचूरि १८२, १९३ अवधेशनारायण २८२ अवन्तिसुकुमाल २१९ अवन्तिवम्म ५७३ (नोट) अवन्तिवर्मा ६५८ अवन्तिज ११, ६११ (नोट),६११ अवन्तिका २९ (नोट) अवन्ती ६१७, ६४०, ६९० अवदानशतक ११२ (नोट) अवध ३५३ अवर्णवाद १४२ अवलेखनिका १३६ अवहट्ट५५१, ६५४ अवसर्पिणी ७१ अवचूर्णी १९३ अवरकंका ८३ अवग्रह २२३ अवसन्न २८२ अवस्वापिनी ५६० अवाह ६५ अवान्तर वर्ण २०० अवामुखमल्लकाकार २२२
अवाउडवसही ४९५ अविमारक ६१५ अशिवोपशमिनी २२१ अशोक ४६४ अशोक (राजा)२४४ अशोक (कामशास्त्र में कुशल)
३७०, ४१० । अश्वघोष के नाटक ६१४ अश्वघोष ४, २२, २३, २४, ६११
(नोट), ६१२ (नोट), ६१४,
६३७ अश्मक (देश)६८४ अश्वतर ६५१ अश्वतर (नाग) २५५ (नोट) अश्वक्रीड़ा ४५६ अश्वमित्र ६०, १०२ (नोट), २३० अश्वशिक्षा ४३९ अश्वयुद्ध १४३ अश्वदान २४६ अश्वरूपधारी यक्ष ८२ । अश्वसेन ५३७ अश्वावबोध तीर्थ ३५४, ५६५ अश्विनी ३२३ अष्ट महाप्रतिहार्य ३३० अष्टक ४३१ अष्टपाहुड २९७, ३०१ अष्टमंगल ११२ अष्टापद (जूआ) १४३ अष्टापद (कैलाश) ११७, २४९,
३०३, ३४४, ३५३, ३९३, ५३० अष्टाध्यायी ८, ५९८, ६०३ अष्टांगनिमित्त ६०, ६३, ६३ (नोट),
७२, १४६, २०७ (नोट), २४७, २५०, २८५, २८६, ३२४, ६६९,
६७२ अष्टांग आयुर्वेद ९७

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