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णाणपंचमीकहा
४४३ -जो गुड़ देने से मर सकता है उसे विष देने की क्या आवश्यकता है ? न हु पहि पक्का बोरी छुट्टइ लोयाण जा खज्जा।
-यदि रास्ते में पके हुए बेर दिखाई दें तो उन्हें कौन छोड़ देगा? हत्थठियं कंकणयं को भण जोएह आरिसए ?
-हाथ कंगन को आरसी क्या ? जिसे सम्पत्ति का गर्व नहीं छूता, उसके सम्बन्ध में कहा हैविहवेण जो न भुल्लइ जो न वियारं करेइ तारने।
सो देवाण वि पुज्जो किमंग पुण मणुयलोयस्स ॥
-जो संपत्ति पाकर भी अपने आपको नहीं भूलता और जिसे जवानी में विकार नहीं होता, वह मनुष्यों द्वारा ही नहीं, देवताओं द्वारा भी पूजनीय है। कामक्रीड़ा के संबंध में एक उक्ति हैकेली हासुम्मीसो पंचपयारेहिं संजुओ रम्मो ।
सो खलु कामी भणिओ अन्नहो पुण रासहो कामो॥ -केलि, हास्य आदि पाँच प्रकार से जो सुरत-क्रीडा की जाती है उसे कामक्रीडा कहते हैं, बाकी तो गर्दभ-क्रीडा समझनी चाहिये।
दरिद्रता की विडंबना देखियेगोट्ठी वि सुह मिट्ठा दालिद्दविडंवियाण लोएहिं । वजिज्जइ दूरेणं सुसलिलचंडालकूवं व ॥
-जिसकी बात बहुत मधुर हो लेकिन जो दरिद्रता की विडंबना से ग्रस्त है, ऐसे पुरुष का लोग दूर से ही त्याग करते हैं; जैसे मिष्ट जलवाला चांडाल का कुआँ भी दूर से ही वर्जनीय होता है। दुःखावस्था का प्रतिपादन करते हुए कहा है
दुकलत्तं दालिई वाही तह कन्नयाण बाहुल्लं । पञ्चक्खं नरयमिणं सत्थुवइदं च वि परोक्खं ॥