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अलंकार ग्रन्थों में प्राकृत पद्यों की सूची ७५५ जिसका दक्षिण पयोधर विषम और उन्नत हो गया है ऐसी सीता ( केवल मूच्छित ही नहीं हुई बल्कि ) गिर भी पड़ी। (परिकर अलङ्कार का उदाहरण)
पडिउच्छिआ ण जंपइ गहिआ वि प्फुरइ चुम्बिआ रुसइ । तुहिक्का णवबहुआ कआवराहेण दइएण॥
(स० के०५, १७९) अपराधी पति द्वारा प्रश्न किये जाने पर चुपचाप रहने वाली नववधू बोलती नहीं, पकड़ लेने पर चंचल होती है और चुम्बन लेने पर नाराज हो जाती है।
पडिवक्खमयणुपुंजे लावण्णउडे अणंगगअकुम्भे । . पुरिससअहिअअधरिए कीस थणंती थणे वहसि ॥
(स० के०५, ३७८, गा० स०३, ६०) सपत्नियों के क्रोध के पुंजस्वरूप, सौन्दर्य के आवास, अनंगरूपी हस्ती के गंडस्थल, सैकड़ों पुरुषों द्वारा हृदय में धारण किये जाते हुए तथा सौन्दर्य की गर्जना करने वाले ऐसे इन स्तनों को तू किसके लिए धारण करती है ?
(मध्यमा नायिका का उदाहरण) पढमघरिणीअ समअं उअ पिंडारे दरं कुणन्तम्मि। णवबहुआइ सरोसं सव्व चिअ वच्छला मुक्का ॥.
(स० के०५, १८५) देखो, प्रथम गृहिणी से ग्वाले (पिंडार) के डर जाने पर, उसकी नववधू ने रोष में आकर सभी बछड़ों को मुक्त कर दिया। (स्त्री के मान का उदाहरण)
पण पढमपिआए रक्खिउकामो वि महुरमहुरेहिं ।
छेअवरो विणडिज्जइ अहिणवबहुआविलासेहिं ॥(स०कं० ५,३८६) मधुर-मधुर रूपों से प्रथम प्रिया के प्रणय की रक्षा करने का अभिलाषी विदग्ध पुरुष नववधू के अभिनव विलासों के द्वारा सुख को प्राप्त होता है।
(ज्येष्ठा नायिका का उदाहरण) पणमत पणअपकविअगोलीचलणगलग्गपडिबिंबम ।
दससु णहदप्पणेसु एआदसतणुधलं लुई ॥ (स० कं० २, ४) प्रणय से कुपित पार्वती के चरणों के अग्रभाग में जिसका प्रतिबिंब दिखाई दे रहा है, ऐसे दस नखरूपी दर्पणों में ग्यारह शरीर के धारी शिव भगवान् को प्रणाम करो। (शुद्ध पैशाची का उदाहरण)
पणयकुवियाण दुण्ह वि अलियपसुत्ताण माणइल्लाणं । निश्चलनिरुद्धणीसासदिण्णकण्णाण को मल्लो ॥ (काव्या० पृ० ११२, १०५, गा० स०.१, २७, दशरूपक पृ०४, पृ० २६३,
साहित्य पृ० १९५) * प्रणय से कुपित, झूठ-मूठ सोए हुए, मानी, बिना हिले-डुले जिन्होंने अपनी सांस रोक रक्खी है और अपने कान एक दूसरे की सांस सुनने के लिये खड़े कर रक्खे हैं, ऐसे प्रिय और प्रिया दोनों में देखें कौन मल्ल है?