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५१२ प्राकृत साहित्य का इतिहास
आश्रवभावना के अन्तर्गत मान के उदाहरण में राजपुत्र उज्झित की कथा दी है। उसके पैदा होने पर उसे एक सूप में रख कर कचरे की कूड़ी (कयवरुक्कुरुडे )' पर डाल दिया गया था, इसलिये उसका नाम उज्झित रक्खा गया । बड़ा होने पर उसे कलाओं की शिक्षा के लिये अध्यापक के पास भेजा गया, लेकिन वह अपने गुरु का अपमान करने लगा। राजा को जब इस बात का पता लगा तो उसने कहला भेजा कि उसकी डंडे से खबर लो | गुरु ने उसे छड़ी से मारा लेकिन उज्झित ने गुरुजी के ऐसी जोर की लाठी जमाई कि वे जमीन पर गिरकर मूर्छित हो गये। ___ माया के उदाहरण में एक वणिक कन्या की कथा दी है । यह कन्या बड़ी मायावती थी। जब उसके पुत्र हुआ तो कपटवश उसने अपने पति से कहा कि मैं पर-पुरुष का स्पर्श नहीं करती, इसलिये इसे दूध पिलाने के लिये आप किसी धाय की व्यवस्था करें। अन्त में अपने दुश्चरित्र के कारण उसे घर से निकाल ' दिया गया।
निर्जराभावना में कनकावलि, रत्नावलि, मुक्तावलि, सिंहविक्रीडित आदि तपों का विवेचन है। ___एक स्थान पर उपमा देते हुए कहा है कि जैसे युवतिजनों के मन में कोई बात गोपनीय नहीं रह सकती और वह चट से बाहर आ जाती है, इसी प्रकार समुद्र में तूफान उठने पर जहाज के टूटने की तड़तड़ आवाज हुई (फुट्टाइं पवहणाई तडत्ति जुवईण मुणिअगुज्झ व)। जैसे मकोड़े गुड़ पर चिपट जाते हैं, वैसे ही धन-संपत्ति के प्रति मनुष्य की गृध्रता बताई गई है।
अनेक सुभाषित भी यहाँ देखने में आते हैं१. वरसंति घणा किमवेक्खिऊण ? किं वा फलंति वरतरुणो ?
१. गुजराती में उकरडी; पश्चिमी उत्तरप्रदेश में कुरड़ी कहते हैं। राजा कूणिक (अजातशत्र) को भी पैदा होने के बाद कूड़ी पर डाल दिया था।