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आवश्यकटीका
२६५ देना है। यदि तुमने यह बात पहले सुनी है तो शतशहस्र चापिस करो, अन्यथा अपना पात्र मुझे दो।
(७) किसी सिद्धपुत्र के दो शिष्य थे । उन्होंने निमित्तशास्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी। एक बार वे घास-लकड़ी लेने के लिये जंगल में गये | वहाँ उन्होंने हाथी के पांव देखे । एक शिष्य ने कहा-ये तो हथिनी के पांव हैं ?
"तुमने कैसे जाना"
"उसकी लघुशंका से। और वह हथिनी एक आँख से कानी है।"
"कैसे पता लगा ?" "उसने एक तरफ की ही घास खायी है ?" शिष्य ने लघुशंका देखकर यह भी पता लगा लिया कि उस हथिनी पर एक स्त्री और एक पुरुष बैठे हुए थे। उसने कहा
"और वह स्त्री गर्भवती थी।" "कैसे जाना" "वह हाथों के बल उठी थी | और उसके पुत्र पैदा होगा।" "कैसे पता लगा?"
"उसका दाहिना पांव भारी था । और वह लाल रंग के वस्त्र पहने थी।"
“यह तुम्हें कैसे पता लगा ?" "लाल धागे आस-पास के वृक्षों पर लगे हुए थे ।” ।
(८) किसी नगर में कोई जुलाहा रहता था। उसकी शाला में कुछ धूर्त कपड़ा बुना करते थे। उनमें से एक धूर्त बड़े मधुर स्वर से गाया करता था। जुलाहे की लड़की उसका गाना सुनकर उस पर मोहित हो गई। धूर्त ने कहा, चलो कहीं भाग चलें, नहीं तो किसी को पता लग जायेगा। जुलाहे की लड़की ने कहा-"मेरी सखी एक राजकुमारी है । हम दोनों ने तय कर रक्खा है कि हम किसी एक ही पुरुप से शादी करेंगी। उसके