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प्राकृत साहित्य का इतिहास में चित्रण किया गया है। नगर के सार्थवाह चन्दन के घर चोरी हो जाने पर उसने राजा को रिपोर्ट दी और फिर राजा ने डिडिमनाद से नगर भर में घोषणा कराई
एत्थंतरम्मि य जाणावियं चन्दणसत्थवाहेण राइणो, जहा देव ! गेहं मे मुहूं ति ।
'किमवहरिय' ति पुच्छियं राइणा ।
निवेइयं चन्दणेण, लिहावियं च राइणा, भणियं च णेण'अरे! आघोसेह डिण्डिमेणं, जहा-मुटुं चंदणसत्थवाहगेहं, अवहरियमेयं रित्थजायं । ता जस्स गेहे केणइ ववहारजोएण तं रित्थं रित्थदेसोवासमागओ, सो निवेएउ राइणो चण्डसासणस्स | अणिवेइओवलंभे य राया सव्वधणावहारेण सरीरदण्डेण य नो खमिस्सइ ।'
-इस बीच में चन्दन सार्थवाह ने राजा को खबर दी"हे देव ! मेरे घर चोरी हो गई है।"
राजा ने पूछा-"क्या चोरी गया है ?"
चन्दन ने बता दिया । राजा ने उसे लिखवा लिया। उसने ( अपने कर्मचारियों से) कहा-"अरे, डिंडिमनाद से घोषणा करो-चन्दन सार्थवाह के घर चोरी हो गई है, उसका धन चोरी चला गया है। जिस किसी के घर वह धन अथवा उस धन का कोई अंश किसी प्रकार से आया हो, वह चण्डशासन राजा को खबर कर दे । ऐसा न करने पर राजा उसका सब धन छीन लेगा और उसे दण्ड देगा।"
एक दूसरा प्रसंग देखिये जब कोई मित्र धन के लोभ से अपने साथी को कुएँ में ढकेल देता है
एत्थंतरम्मि य अत्थमिओ सहस्सरस्सी, लुलिया संझा | तओ चिन्तियमणहगेणं-हत्थगयं मे दविणजाय, विजणं च कन्तारं, समासन्नो य पायालगम्भीरो कूवो, पवत्तो य अवराहविवरसमच्छायगो अन्धयारो | ता एयम्मि एयं पक्खिविउण नियत्तामो इमस्स थाणस्स ति चिन्तिऊण भणियं च तेण-सत्थवाहपुत्त !