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२५४ प्राकृत साहित्य का इतिहास घड़ा नीचे गिर कर फूट गया। यह देखकर उनमें से एक ने निम्नलिखित गाथा पढ़ी
तज्जातेण य तज्जातं, तण्णिभेण य तण्णिभं |
तारूवेण य तारूवं सरिसं सरिसेण णिदिसे ॥ -जो जिससे उत्पन्न हुआ था, उसी में मिल गया, वह जिसके समान था उसी के समान हो गया और वह जिसके रूप का था उसी के रूप में पहुँच गया ; सदृश सदृश के साथ मिल गया।
गाथा पढ़कर उसने उत्तर दिया-मां, तुम्हारा पुत्र मर गया है। ___ दूसरे शिष्य ने कहा नहीं मां, तुम्हारा पुत्र वापिस आ गया है।
बढिया ने घर आकर देखा तो सचमुच उसका पुत्र घर आया हुआ था । वह झट से एक जोड़ा और रुपये लेकर आई और सगुन विचारनेवाले शिष्य को उसने भेंट दी।
दोनों शिष्य जब लौटकर आये तो पहले ने गुरु जी से कहा-गुरु जी, आप मुझे ठीक नहीं पढ़ाते | गुरु के पूछने पर उसने सारी बात कह सुनाई । गुरु ने दूसरे शिष्य से प्रश्न किया कि तुम्हें कैसे मालूम हो गया कि बुढ़िया का लड़का घर आ गया है। शिष्य ने उत्तर दिया-"गुरुजी! फूटते हुए घड़े को देखकर मैंने सोचा कि जैसे मिट्टी का घड़ा फूटकर मिट्टी में मिल गया है, वैसे ही बुढ़िया का अपने पुत्र के साथ मिलाप होना चाहिये ।” ____ यहाँ महावीर के केवलज्ञान होने के १३ वर्ष पश्चात् श्रावस्ती में भयङ्कर बाढ़ आने का उल्लेख मिलता है ।' भास के प्रतिज्ञा
१. पृ. ६०१ ; आवश्यक-हरिभद्रटीका, पृ० ४६५, यहाँ आवश्यकचूर्णी की 'वरिस देव' आदि गाथा को मिलाइये मच्छजातक (७५) की निम्न गाथा के साथ