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निशीथविशेषचूर्णी
२४५ ने जब कालकाचार्य की भगिनी को जबर्दस्ती उठाकर अपने अन्तःपुर में रख लिया तो कालकाचार्य बहुत क्षुब्ध हुए। उन्होंने राजा से बदला लेने की प्रतिज्ञा की। प्रतिज्ञा पूरी करने के लिये वे पारसकूल (ईरान) गये और वहाँ के शाहों को हिन्दुस्तान (हिंदुगदेस) लिवा लाये । आगे चल कर शक वंश की उत्पत्ति हुई। कालक के अनुरोध पर शाहों ने राजा गर्दभिल्ल पर चढ़ाई कर उसके वंश का समूल नाश कर डाला | तत्पश्चात् कालक ने अपनी भगिनी को पुनः संयम में दीक्षित किया । उज्जयिनी के राजा प्रद्योत की कथा यहाँ विस्तार से दी है। इस प्रसङ्ग पर पुष्कर तीर्थ (आधुनिक पुष्कर, अजमेर के पास) की उत्पत्ति बताई गई है।
साधुओं के आचार-विचार के वर्णन-प्रसंग में यहाँ अनेक देशों में प्रचलित रीति-रिवाजों का उल्लेख है। उदाहरण के लिये, लाटदेश में मामा की लड़की से विवाह किया जा सकता था। मालव और सिंधु देश के लोग कठोरभाषी तथा महाराष्ट्र के लोग वाचाल माने जाते थे। महाराष्ट्र के जैन भिक्षु आवश्यकता पड़ने पर अपने लिंग में अंगूठी (वेंटक) पहनते थे । लाट देश में जिसे कच्छ कहते थे, महाराष्ट्र में उसे भोयड़ा ' कहा जाता था। महाराष्ट्र की कन्यायें विवाह होने के पश्चात् गर्भवती होने तक इसे पहनती थीं । महाराष्ट्र में स्त्री को माउग्गाम कहा जाता था। ___ यहाँ हंसतेल बनाने और फलों को पकाने की विधियाँ बताई गई हैं। गंगा, प्रभास, प्रयाग, सिरिमाल आदि को कुतीर्थ; शाक्यमत, ईश्वरमत आदि को कुशास्त्र ; मल्लगण, सारस्वतगण
१. इस सम्बन्ध में देखिये डॉक्टर उमाकान्त शाह का 'सुवर्णभूमि में कालकाचार्य' (जैन संस्कृतिसंशोधन मण्डल, बनारस, सन् १९५६)।
२. जमालि का विवाह उसके मामा महावीर की कन्या प्रियदर्शना से हुआ था।
३. स्थानांग (सूत्र १४२) में मगध, वरदाम और प्रभास की