Book Title: Panchastikay
Author(s): Kundkundacharya, Shreelal Jain Vyakaranshastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
View full book text
________________
४८
षद्रव्य-पंचास्तिकायवर्णन ___इस तरह द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक दोनों नयोंकी अपेक्षासे द्रव्यके लक्षणका व्याख्यान करते हुए गाथा पूर्ण हुई ।।११।।।
समय व्याख्या गाथा-१२ अन्न द्रव्यपर्यायाणामभेदो निर्दिष्टः ।
पज्जय-विजुदं दव्वं दव्व-विजुत्तं य पज्जया णस्थि । दोण्हं अणण्ण- भूदं भवं समणा परूविंति ।।१२।।
पर्ययवियुतं द्रव्यं द्रव्यवियुक्ताश्च पर्याया न सन्ति ।
द्वयोरनन्यभूतं भावं श्रमणाः प्ररूपयन्ति ।।१२।। दुग्धदधिनवनीतघृतादिवियुतगोरसवत्पर्यायवियुतं द्रव्यं नास्ति । गोरसवियुक्तदुग्धदधिनवनीतघृतानिय प्रत्यक्षिक सामाजिक तो छहास्य पर्यायाणां चादेशवशात्कथंचिद् भेदेऽप्येकास्तित्वनियतत्वादन्योन्याजहवृत्तीनां वस्तुत्वेनाभेद इति ।।१२।।
हिन्दी समय व्याख्या गाथा-१२ अन्वयार्थ—(पर्ययविद्युतं ) पर्यायोंसे रहित ( द्रव्यं ) द्रव्य ( च ) और ( द्रव्यवियुक्ताः ) द्रव्यरहित ( पर्यायाः ) पर्यायें (न सन्ति ) नहीं होती, ( द्वयोः ) दोनों का ( अनन्यभूतं भाव ) अनन्यभाव ( अनन्यपना ) ( श्रमणा: ) श्रमण [प्ररूपयन्ति ] प्ररूपित करते हैं।
टीका-- यहाँ द्रव्य और पर्यायोंका अभेद दर्शाया है।
जिसप्रकार दूध, दही, मक्खन, घी इत्यादिसे रहित गोरस नहीं होता उसी प्रकार पर्यायोंसे रहित द्रव्य नहीं होता, जिस प्रकार गोरससे रहित दूध, दही, मक्खन, घी इत्यादि नहीं होते उसीप्रकार द्रव्यसे रहित पर्यायें नहीं होती। इसलिये, यद्यपि द्रव्य और पर्यायोंका आदेशवशात् विवक्षावश कथंचित् भेद है तथापि, वे अस्तित्वमें नियत [ दृढरूपसे स्थित होनेके कारण अन्योन्यवृत्ति नहीं छोड़ती इसलिये वस्तुरूपसे अभेद है ॥१२॥]
___ संस्कृत तात्पर्यवृत्ति गाथा-१२ अथ द्रव्यपर्यायाणां निश्चयनयेनाभेदं दर्शयति- ।
पज्जयरहियं दव्वं-दधिदुग्धादिपर्यायरहितगोरसवत्पर्यायरहितं द्रव्यं नास्ति । दव्वविमुत्ता य पज्जया पत्थि-गोरसरहितदधिदुग्धादिपर्यायवत् द्रव्यविमुक्ता द्रव्यविरहिताः पर्याया न संति । दोण्हं अणण्णभूदं भावं समणा परूवेंति-यत एवमभेदनयेन द्रव्यपर्याययोर्भेदो नास्ति तत एवं कारणात् द्वयोर्द्रव्यपर्याययोरनन्यभूतमभित्रभावं सत्तामस्तित्वस्वरूपं प्ररूपयन्ति । के कथयन्ति । श्रमणा महाश्रमणाः सर्वज्ञा इति ।