Book Title: Panchashak Prakaran me Pratipadit Jain Achar aur Vidhi Vidhan
Author(s): Kanakprabhashreeji
Publisher: Kanakprabhashreeji
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बजे के समय पर परिमड्ढ आएगा। 13 घण्टे का दिन हो, तो 12.30 बजे पुरिमड्ढ आएगा ।
अपरार्द्ध अवड्ढ में अप और अर्द्ध- ये दो शब्द हैं। अप अर्थात् पीछे और अर्द्ध अर्थात् आधा । मध्याह्न के आधे का आधा भाग अपार्द्ध कहलाता है, अर्थात् अपराह्न के आधे भाग तक का पच्चक्खाण अवड्ढ कहलाता है यानी तीन प्रहर तक का प्रत्याख्यान पुरिमड्ढ या अवड्ढ है । इसमें सात आगार हैं । छः आगार तो पौरुषी के समान ही हैं, सातवां आगार महत्तरागारेणं है।
महत्तरागारेणं
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पूर्व प्रत्याख्यान पारना तो प्रत्याख्यान भंग नहीं होता है।
एकास - बियासण ( एकाशन - द्वयाशन) -
एकाशन एक ही स्थान पर बैठकर एक ही बार अशन (भोजन) लेना एकाशन कहलाता
है।
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बड़ों की आज्ञा से संघ आदि के कार्य करने हेतु प्रत्याख्यान आने के
द्वयाशन एक ही स्थान पर बैठकर दो बार भोजन लेना द्वयाशन कहलाता है।
एकाशन में आठ आगार 1
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सागार आगारेणं • गृहस्थ या अन्य जाति के लोगों के किसी कार्य की दृष्टि पड़ने से उठना पड़े, तो प्रत्याख्यान का भंग नहीं होता है। दूसरे, किसी कार्य हेतु गृहस्थ वर्ग आ गए हों, तो उनके सामने आहार नहीं करना चाहिए । यहाँ आहार बन्द कर देना चाहिए । यदि वे वहाँ से नहीं उठें, तो अन्य स्थान पर जाकर आहार करने से प्रत्याख्यान का भंग नहीं होता है ।
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प्रश्न है कि गृहस्थ के लिए यह आगार क्यों रखा गया ?
वैसे तो गृहस्थ को भी दूसरों के सामने भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि उस पर किसी की नजर लगने का भय हो, अर्थात् किसी के देखने पर खाना नहीं पचता है, तो वहाँ से उठकर अन्य स्थान पर जाकर खाने पर प्रत्याख्यान भंग नहीं होता है ।
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