Book Title: Panchashak Prakaran me Pratipadit Jain Achar aur Vidhi Vidhan
Author(s): Kanakprabhashreeji
Publisher: Kanakprabhashreeji

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Page 679
________________ सन् 1991 21 राजप्रश्नीयसूत्र 22 ज्ञातधर्मकथांग सन् 2003 23 ठाणं वि.सं. 2033 सन् 1992 24 त्रीणिछेदसूत्राणि 25 अनुयोगद्वार सूत्र 26. उत्तराध्ययन टीका युवाचार्य मधुकर मुनि श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर आ. महाप्रज्ञ जी जैन विश्व भारती लाडनू मुनि नथमल जैन विश्व भारती लाइन युवाचार्य मधुकर मुनि श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर युवाचार्य मधुकर मुनि श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर शान्त्याचार्य श्री जिनशासन आराधना 7/3 भाई वाडोमुलेश्वर मुम्बई लक्ष्मीवल्लभ टीका अनुवाद प्र. सज्जनश्री खरतरगच्छाचार्य श्री जिनरंगसूरिजी म.पोशाल ट्रस्ट कोलकाता सन् 1987 वि.सं. 2046 कल्पसूत्र वि.सं. 2054 28 विशेषाश्वयकभाष्य आ. जिनभद्र गणि श्रमाश्रमण भद्रंकर प्रकाशन वि.सं. 2053 सन् 1916 29 आवश्यकनियुक्ति 30 तत्त्वार्थसूत्र 31 प्रवचनसारोद्वार भद्रबाहु स्वामी आगमोदय समिति बम्बई आ. उमास्वाति, पं.सुखलाल जी संघवी पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी आ. नेमीचन्द्रसूरि अनुवाद साध्वी प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर हेमप्रभाश्री सन् 1993 वि.सं. 1999 32 चैत्यवन्दनकुलकवृत्ति वि.सं. 2062 33 पंचलिंगीप्रकरणम सन् 2006 जिनकुशलसूरि अनुवाद प्र. सज्जनश्रीजी जिनदत्तसूरि सेवा संघ, कलकत्ता श्री जिनेश्वरसूरि डॉ. हेमलता बोलिया, श्री विमल सुदर्शनचन्द्र पारमार्थिक जैन डॉ. डी. एस. बया ट्रस्ट, उदयपुर रचित जिनप्रभसूरि अनुवाद साध्वी श्री महावीरस्वामी जैन देरासर ट्रस्ट मुम्बई सौम्यगुणाश्री अनुवाद साध्वी मोक्षरत्नाश्री प्राच्यविद्यापीठ, शाजापुर 4 विधिमार्गप्रपा वि.सं. 2062 35 आचार दिनकर सन् 2007 6 डॉ. श्री प्रकाश पाण्डेय पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी डॉ. सागरमल जैन अभिनन्दनग्रन्थ सन् 1998 37 38 39 सूत्रकृतांगसूत्र का दार्शनिक अध्ययन साध्वी डॉ. नीलांजनाश्री श्री जिनकान्तिसागरसूरि स्मारक ट्रस्ट,माण्डवला वि.सं. 2005 जैनभक्तिकाव्य की पृष्ठभूमि डॉ. प्रेमसागर जैन भारतीय ज्ञानपीठ, काशी सन् 1963 उपासकदशांग और डॉ. सुभाष कोठारी आगमअहिंसा समता एवं प्राकृत संस्थान सन् 1988 श्रावकाचार (एक परिशीलन) सं. डॉ. सागरमल जैन (उदयपुर) 655 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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