Book Title: Panchashak Prakaran me Pratipadit Jain Achar aur Vidhi Vidhan
Author(s): Kanakprabhashreeji
Publisher: Kanakprabhashreeji

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Page 648
________________ tos उत्तराध्ययनसूत्र दशवैकालिकसूत्र बृहद्कल्पसूत्र आदि छेदसूत्र आचारांगनियुक्ति tor प्रशमरति रयणसारगत श्रावकाचार पिण्डनियुक्ति ओघनियुक्ति मूलाचार बृहद्कल्प-लघुभाष्य दशवैकालिकभाष्य विशेषावश्यकभाष्य भगवतीआराहणा दशवैकालिकचूर्णि पंचवस्तुक यतिदिन कृत्य आराहणा पताका प्रवचन सारोद्धार सुबोध समाचारी समाचारी संग्रह अणगार धर्मामृत यति समाचारी षडावश्यकबालावबोधवृत्ति विशेषशतकम् साधुविधिप्रकाश प्रकरण भ. महावीर शयंभवसूरि आर्य भद्रबाहु आर्य भद्र आ. उमास्वाति आ. कुन्दकुन्द आर्यभद्र आर्य भद्र वट्टकेराचार्य संघदासगणि क्षमाश्रमण जिनभद्रगणि जिनभद्रगणि पाणीतलभोजी शिवार्य जिनदासगणि महतर हरिभद्रसूरि आ. हरिभद्र वीरभद्राचार्य नेमिचन्द्रसूरि चन्द्रसूरि नरेश्वरसूरि पं. आशाधर भावदेवसूरि तरूणप्रभसूरि समयसुन्दर ई.पू. 6 टी शती ई.पू. 6 टी शती ई.पू. 3 री शती ई.पू. 2 री शती ई.पू. 3 री शती ई. लगभग 5 वीं शती ई. 2 री शती ई. 2 री शती लगभग 5 वीं शती लगभग 5 वीं शती लगभग 5 वीं शती लगभग 5 वीं शती लगभग 5 वीं शती 7 वीं शती 8 वीं शती 8 वीं शती 4 10 वीं शती वि.सं. 1216 वीं शती वीं शती 14 वीं शती वि.सं. 1412 15 वीं शती 16 वीं शती 16 वीं शती क्षमाकल्याण 626 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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