Book Title: Panchashak Prakaran me Pratipadit Jain Achar aur Vidhi Vidhan
Author(s): Kanakprabhashreeji
Publisher: Kanakprabhashreeji

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Page 667
________________ इन तप सम्बन्धी विधि-विधानों में से अनेक विधि-विधान मुनिधर्म से और अनेक श्रावक धर्म से सम्बन्धित है, अतः हमनें इनका एक स्वतन्त्र अध्याय के रूप में ही विवेचन करने का प्रयत्न किया है। __छटे अध्याय में जैन विधि-विधानों से सम्बन्धित साहित्य का निरूपण किया है। इसमें श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्परा-दोनों के ग्रन्थों का समावेश किया गया है। इस शोधप्रबन्ध का अंतिम सप्तम अध्याय उपसंहार रूप है, इसमें जैनविधि विधानों की संक्षिप्त चर्चा के साथ उनका समीक्षात्मक मूल्यांकन भी है। भारतीय संस्कृति के विभिन्न धर्मो में विधि-विधान भारतीय संस्कृति के अधिकांश धार्मिक सम्प्रदायों में विधि विधानों का उल्लेख उपलब्ध होता है यह सम्भव है कि किसी परंपरा में फिर भी इन विधि विधानो की व्यवस्था कम एवं किसी परम्परा में इन विधि-विधानो की मात्रा अधिक हो सकती है। किन्तु प्रत्येक परंपरा में अपने-अपने वैचारिक एवं सांस्कृतिक चेतना के स्तर के अनुरूप विधि-विधानो की व्यवस्था होती ही है। आदिवासियों या वनवासियों की भी अपनी धार्मिक परंपरा तथा सामाजिक रीति रिवाज होते हैं। मुस्लिम समाज की भी अपनी एक परंपरा है जैसे 5 बार नमाज पढ़ना, हज की यात्रा करना, काबा की परिक्रमा करना, हज की यात्रा के बाद अनीति आदि नहीं करना, एवं बलि आदि के धार्मिक विधानों का पालना अनिवार्य माना जाता है। यहूदियों में सुन्नत करना, कोशर लेना, सिर पर टोपी धारण करना, शुक्रवार को सूर्यास्त के बाद किसी भी कार्य को नहीं करना। सीनेगोग में जाकर प्रार्थना करना, संध्या के समय दीपक प्रज्वलित करना आदि विधान हैं। खिस्तियों में बच्चों को जब खिस्ती धर्म की दीक्षा दी जाती है तब चर्च में विशेष प्रकार विधि-विधान किये जाते हैं। बौद्ध धर्म में जब सामनेर एवं भिक्षु दीक्षा दी जाती हैं, तब उसके तथा पूजा आदि के एवं प्रायश्चित आदि के विधि-विधान प्रचलित है। 644 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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