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दशवैकालिकचूर्णी आत्मविशोधि कुलक षडावश्यक बालावबोधकृति आचारदिनकर समाचारी प्रकरण भाग (1-2) आवश्यक विधि संग्रह
जिनदासगणि महत्तर अज्ञातकृत तरूणप्रभसूरि वर्धमानसूरि यशोविजय सं. बुद्धिसागर
लग. 7 वीं शती लग. 11 वीं शती 15 वीं शती वि.सं. 1463 17 वीं शती 20 वीं शती
19. तप विधि पंचाशक -
जैन परम्परा में कर्म-निर्जरा या मोक्ष-प्राप्ति के हेतु के रूप में तप का उल्लेख मिलता है। तप अनेक प्रकार से किया जाता है। तप-विधि का वर्णन करने वाला विपुल साहित्य है, जो निम्न है - कृति कृतिकार
कृतिकाल बृहत्कल्पसूत्र
आर्यभद्रबाहु
ई.पू. तीसरी शती अंतकृतदशासूत्र
वर्तमानसंस्करण (परवर्ती है) 6 टी शती मूलायार (मूलाचार)
वट्टकेराचार्य
लगभग 6 टी शती भगवती-आराहणा
पाणतलमोजी शिवार्य 6 टी शती पंचवस्तुक
हरिभद्रसूरि
8 वीं शती महानिशीथसूत्र
उद्धारक आ. हरिभद्र 8 वीं शती समाचारी तिलकाचार्य
13 वीं शती विधिमार्गप्रपा
जिनप्रभसूरि
वि.सं. 1463 आचार-दिनकर
वर्धमानसूरि सुबोधासमाचारी
चन्द्रसूरि
13 वीं शती श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति देवेन्द्रसूरि
14 वीं शती यति-श्राद्धव्रतविधिसंग्रह सं. रामचन्द्रसूरि
20 वीं शती विधिसंग्रह
प्रमोदसागरसूरि
20 वीं शती
वि.सं. 1463
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