Book Title: Panchashak Prakaran me Pratipadit Jain Achar aur Vidhi Vidhan
Author(s): Kanakprabhashreeji
Publisher: Kanakprabhashreeji

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Page 637
________________ किशनसिंहकृत श्रावकाचार किशनसिंह वि.सं. 19 वीं शती उपासकाध्ययन वि.सं. 20 वीं शती श्रावकव्रतधारण विधि (हिन्दी) ज्ञानभूषण छोगमल चौपड़ा जिनप्रभविजय वि.सं. 20 वीं शती सम्यक्त्वमूल बारहव्रत (गु.) वि.सं. 20-21 वीं शती 2. दीक्षाविधि पंचाशक - जैन धर्म में दीक्षा का प्रावधान है। जिन-दीक्षा अर्थात् जिनेश्वर परमात्मा द्वारा दिया गया क्षमा आदि दश यतिधर्म का पालन। दीक्षा के पूर्व मुमुक्षु को शिक्षा दी जाती है तथा परीक्षा ली जाती है कि मुमुक्षु में दीक्षा की योग्यता है, या नहीं है ? ऐसी जिन दीक्षा विधि विधान के अनेक ग्रन्थ मौजूद हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख ग्रन्थों की सूची यहाँ पर दी जा रही हैकृति कृतिकार कृतिकाल आचारांगसूत्र उपदेष्टा भ. महावीर ई.पू. छटी शती व्यवहार भाष्य संघदासगणि ईसा की 6 टी शती धर्मबिन्दु प्रकरण हरिभद्रसूरि शती पंचसूत्र अज्ञातकृतक 8 वीं शती पंचवस्तुक 8 वीं शती हरिभद्रसूरि वादिदेवताल शान्तिसूरि उत्तराध्ययन टीका लगभग 12 वीं शती श्रुतधर आचार्य 13 वीं शती प्रव्रज्याविधानकुलकम् विधिमार्गप्रपा जिनप्रभसूरि वि.सं. 1363 समाचारी तिलकाचार्य लगभग 14 वीं शती 615 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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