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सामायिक द्रव्य व भाव- दोनों भेद से संयुक्त करते हुए सामायिक की उपयोगिता आत्मसात् करें। समायिक कितने समय की- हालांकि सामायिक समत्व की साधना है, किन्तु श्रावक सम्पूर्ण रूप से समता में नहीं रह सकता, इसलिए समय की सीमा निर्धारित कर दी गई है। एक सामायिक का समय एक मुहुर्त (दो घड़ी), अर्थात् 48 मिनट है।
___ इसका शास्त्रीय-कारण भी है कि ध्यान-साधना का चरम समय 48 मिनट ही है, क्योंकि चित्त की स्थिरता इससे अधिक काल तक नहीं रहती है। इसी आधार पर एक सामायिक का समय भी दो घड़ी का ही रखा गया है। सामायिक कैसी हो- सामायिक पुनिया श्रावक की तरह मन, वचन, काया की चंचलता से रहित हो, मन-वचन-काया के बत्तीस दोषों से रहित हो, राजकथा, देशकथा, भक्तकथा, स्त्री (पुरुष) कथा से रहित हो, सावद्ययोग से रहित हो, राग-द्वेष से रहित हो। सामायिक के उपयोगी उपकरण- धोती, उत्तरसण, आसन, मुखवस्त्रिका, चरवला, माला, पुस्तक, स्थापनाचार्य आदि। अतिचार- प्रायः सभी ग्रन्थों में सामायिक के पाँच अतिचार माने गए हैं। पंचाशक-प्रकरण में आचार्य हरिभद्र ने सामायिक-व्रत को दूषित करने वाले पाँच अतिचारों का कथन किया है। वे पाँच अतिचार निम्न हैं
__मणवयणकाय दुप्पणिहाणं इह जतुओ विवज्जेई।
सइअकरणयं अणवहियस्स तह करणयं चेव।।' 1. मनोदुष्प्रणिधान 2. वचनदुष्प्रणिधान 3. कायदुष्प्रणिधान 4. स्मृति अकरण अनवस्थितकरण।
उपासकदशांग मूल एवं टीका में भी सामायिक के इन्हीं पाँच अतिचारों का उल्लेख है, जो पंचाशक के अनुसार ही हैं। तत्त्वार्थ-सूत्र के अनुसार सामायिकव्रत के पाँच अतिचार निम्न प्रकार से हैं- 1. कायदुष्प्रणिधान 2. वचनदुष्प्रणिधान 3.
'पंचाशक-प्रकरण - आ. हरिभद्रसूरि- 1/25 - पृ. - 10 2 उपासकदशांग टीका - आ. अभयदेवसूरि- 1/53 - पृ. - 50
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