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4. नपुंसक - जो न स्त्री है और न पुरुष । 5. मत्त - जो नशे में हो। 6. क्षिप्तचित्त - जो धन हानि के कारण पागल हो गया हो। 7. दीप्तचित्त – शत्रुओं से बार-बार हारकर निराश हो गया हो। 8. यथाविष्ट – जिसे कोई भूतप्रेत सताता हो। 9. करछिन्न – जिसके हाथ कट गए हों। 10. चरणछिन्न – जिसके पैर कट गए हों। 11. अंधा - जिसको आँखों से न दिखाई देता हो। 12. निगडित - जिसके हाथ या पैर में जंजीर लगी हो। 13. कोढ़ी - कुष्ठ का रोगी। 14. गर्भवती स्त्री - जो संतान को जन्म देने वाली हो। 15. बालवत्सा - जो छोटे बच्चों वाली हो। 16. से 18. अनाज आदि छानने वाली, पीसने वाली और भूनने वाली स्त्री। 19. सूत कातने वाली।
20. रुई पीजने वाली। 7. उन्मिश्र-दोष का स्वरूप- सचित्त बीज, कंद आदि मिश्रित आहार उन्मिश्र है। 8. अपरिणत-दोष का स्वरूप- आहारादि पूर्णतया अचित्त न हुआ हो- ऐसा आहारादि ग्रहण करना अपरिणत-दोष है। 9. लिप्त-दोष का स्वरूप- अखाद्य वस्तु लगा भोजन लेने से लिप्त-दोष लगता
10. छर्दित-दोष का स्वरूप-
आहारादि को नीचे बिखेरते हुए देना छर्दित-दोष
प्रश्न उपस्थित होता है कि शुद्धपिण्ड (आहार) परमार्थ से किसे प्राप्त होता
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