________________ कृष्णपक्षे परिक्षीणे, शुक्ले च समुदञ्चति। द्योतन्ते सकलाध्यक्षा, पूर्णानन्दविधोः कला॥८॥ क्षय कृष्ण का हो उदय हो सुद पक्ष का नभ में यदा। आतम स्वरूपी शशि कलाएँ पूर्ण खिलती हैं तदा॥ अज्ञान माया मोह रूपी अंधकार विनष्ट हो। निज ज्ञान की हो पूर्णता पर्याय चेतन स्पष्ट हो॥८॥ का उदय होता है कृष्ण पक्ष की समाप्ति पर शुक्ल पक्ष का उदय होता है, तब चन्द्रमा की कलाऐं प्रकाशित होती है। उसी प्रकार आत्मा का कृष्ण पक्ष अर्थात् अज्ञान, माया, आदि का नाश होने पर पूर्ण आनंद रूप कलाऐं प्रकट होती हैं। प्रकाशित होती है पक्ष अर्थात half begins with the moon gradually growing Similarly when the illusion of ignorance recedes, the soul emerges into the bright and blissful state of totality: *** 181 .