________________ गर्जज्ञानगजोत्तुङ्गा, रङ्गद्ध्यानतुरङ्गमाः। जयन्ति मुनिराजस्य, शमसाम्राज्यसम्पदः // 8 // मुनिराज का शमरूप ही सुन्दर बड़ा साम्राज्य है। इस राज्य में मद मदन रति मिथ्यात्व माया त्याज्य है। . सद्ज्ञान रूपी हस्तिदल करता रहे शुभ गर्जना। क्रीडा करे शुभ ध्यान रूप तुरंग अद्भुत वर्णना॥ 8 // जिनके पास गर्जना करते ज्ञान रूप हाथी और खेलते हुए ध्यान रूप घोड़े हैं, ऐसे मुनिराज रूप राजा के शम रूप साम्राज्य की संपत्ति सदा जयवन्त रहती है। The equanimous stature of a 'Muniraj' is akin to an empire. There lust for wine, women, untruths and illusions are forbidden. Right knowledge like a herd of elephants trumpets there. Inexplicably wonderful and auspicious thoughts seem to frolic like horses there. - {48}