________________ सर्वनयाश्रय-32 धावन्तोऽपि नया: सर्वे, स्युर्भावे कृतविश्रमाः। चारित्रगुणलीन: स्यादिति सर्वनयाश्रितः // 1 // निज पक्ष सिद्धि विधान साधन हेतु सब नय दौड़ते। वे नैगमादि सभी तो आखिर वस्तु भाव में ठहरते // चारित्र गुण सम्पन्नता में लीन साधु विचारते। मुनि सर्व नय आश्रित रहे मुनि सब नयों को मानते // 1 // अपनी-अपनी मान्यता को सिद्ध करने के लिए दौड़ते हुए भी सभी नय वस्तु के उस-उस स्वभाव में स्थिर होते हैं। चारित्रगुण में लीन बना हुआ साधु सभी नयों का आश्रय करने वाला होता Holistic View To prove their specific views all the Nayas (Parameters) approach different specific properties of a thing. But the ascetic following the code of conduct adopts the holistic view point that encompasses all the Nayas. (2491